लोकसभा में सोमवार को डाटा प्रोटेक्शन बिल पास हो गया। डिजिटल पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन बिल, 2023 को ध्वनिमत से लोकसभा में पारित किया गया। इस बिल के अनुसार नियमों का उल्लंघन करने वाली संस्थाओं पर न्यूनतम 50 करोड़ रुपये और अधिकतम 250 करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।
क्या है डाटा प्रोटेक्शन बिल?
डाटा प्रोटक्शन बिल के लागू होने के बाद यदि किसी कंपनी यह संस्था द्वारा नियमों को तोड़ा जाता है और किसी भी व्यक्ति की जानकारी लीक की जाती है, तो उसे पर 250 करोड़ रुपए तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। इस कानून के लागू होने के बाद लोगों को अपना डाटा, स्टोरेज और इसकी प्रोसेसिंग के बारे में जानकारी मांगने का अधिकार मिल जाएगा।
बिल के अनुसार डाटा प्रोटेक्शन बोर्ड का भी गठन किया जाएगा। यदि किसी भी मामले को लेकर विवाद की स्थिति उत्पन्न होती है, तो इसके संबंध में डाटा प्रोटेक्शन बोर्ड फैसला करेगा। इस बिल के अनुसार अब नागरिकों को सिविल कोर्ट में जाकर मुआवजे का दावा करने का भी अधिकार मिल जाएगा। बिल में ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों प्रकार के डाटा का जिक्र किया गया है।
बिल पर चर्चा के दौरान अश्विनी वैष्णव ने कहा कि यह विधेयक देश के 140 करोड़ लोगों के डिजिटल वैयक्तिक डाटा की सुरक्षा से संबंधित है। उन्होंने कहा, “डिजिटल इंडिया को दुनिया के कई देश अपनाना चाहते हैं। 90 करोड़ भारतीय इंटरनेट से जुड़ गए हैं। बिल पर पिछले कई वर्षों में संसद की स्थायी समिति सहित अन्य मंचों पर कई घंटों तक इस पर चर्चा हुई है। 48 संगठनों तथा 39 विभागों/मंत्रालयों ने इस पर चर्चा की और 24 हजार सुझाव प्राप्त हुए हैं।”
विपक्ष ने किया बिल का विरोध
विपक्ष ने इस बिल का विरोध किया। कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने कहा कि यह कानून निजता के अधिकार का हनन करता है। वहीं कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा कि यह अंतिम विधेयक नहीं है और इसे समीक्षा के लिए संसदीय समिति के पास भेजने की जरूरत है। जबकि कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने भी कहा कि विधेयक को संसदीय पैनल के पास भेजा जाना चाहिए।
सोशल मीडिया कंपनियों की मनमानी पर लगेगी रोक
डाटा प्रोटेक्शन बिल के लागू होने के बाद सरकार सोशल मीडिया कंपनियों की मनमानी पर लगाम लगा सकेगी। जब भी कोई कंपनी किसी शख्स की निजी जानकारी को इकट्ठा करना चाहेगी तो इसके लिए उसे संबंधित व्यक्ति से इजाजत लेनी होगी। इस बिल के तहत किसी के व्यक्तिगत डेटा को तभी लिया जा जा सकता है जब संबंधित व्यक्ति ने इसके लिए सहमति दी हो। हालांकि राष्ट्रीय सुरक्षा और कानून-व्यवस्था के मामलों में इसके लिए अनुमति की जरूरत नहीं होगी।
डेटा प्रोटेक्शन बोर्ड का होगा गठन
बिल के लागू होने के बाद केंद्र सरकार डेटा प्रोटेक्शन बोर्ड की स्थापना करेगी। इसका काम अनुपालन की निगरानी करना और जुर्माना लगाना, डेटा उल्लंघन की स्थिति में आवश्यक उपाय करने के लिए डेटा फिड्यूशियरीज़ को निर्देशित करना और व्यक्तियों द्वारा की गई शिकायतों को सुनना शामिल है। बोर्ड के सदस्यों की नियुक्ति दो साल के लिए की जाएगी। बोर्ड के सदस्यों की संख्या केंद्र तय करेगा।
