What is CAG: CAG यानी कंट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल ऑफ इंडिया द्वारा कथित शराब घोटाले को लेकर बनाई गई रिपोर्ट आज दिल्ली विधानसभा पेश हुई, जिसको लेकर काफी हंगामा हुआ है। इतना ही नहीं, दिल्ली में बनी सीएम रेखा के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार ने ऐलान किया है कि वह आप सरकार के दौरान पेंडिंग रही सभी 14 CAG रिपोर्ट को भी सदन में पेश करने का ऐलान किया है।

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट बताती है कि CAG ने हाल के वर्षों में दिल्ली के उपराज्यपाल को एक दर्जन से ज्यादा ऑडिट रिपोर्ट पेश की थी, लेकिन पिछली आम आदमी पार्टी की सरकार ने किसी भी रिपोर्ट को विधानसभा में पेश नहीं किया, जिसके चलते बीजेपी विधायक हाई कोर्ट तक चले गए थे।

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सीएजी ने जो रिपोर्ट्स राज्यपाल के पास भेजी थीं, उनमें पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के आवास के रेनोवेशन की लागत, दिल्ली में शराब की आपूर्ति, वायु प्रदूषण की रोकथाम और शमन तथा दिल्ली परिवहन निगम के कामकाज जैसे कई मुद्दों की ऑडिट रिपोर्ट्स भी शामिल थीं, जिसके चलते आम आदमी पार्टी और अरविंद केजरीवाल की मुसीबतें आने वाले समय में बढ़ सकती हैं।

क्या है CAG और इसके पास कितनी ताकत?

CAG की ताकत की बात करें तो संविधान के भाग-5 में अनुच्छेद 148 से 151 महालेखा परीक्षक शामिल है। इसकी नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। CAG अधिनियम, 1971 के तहत CAG की ताकत तय होती है। कई अन्य क़ानून CAG को पावर प्रदान करते हैं। उदाहरण के लिए, राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन अधिनियम, 2003 कहता है कि केंद्र सरकार CAG को आवश्यकतानुसार समय-समय पर इस अधिनियम के प्रावधानों के अनुपालन की समीक्षा करने का काम सौंप सकती है और ऐसी समीक्षाएं संसद के दोनों सदनों के पटल पर रखी जाएंगी।

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केंद्र और राज्य सरकारों का ऑडिट करने के अलावा CAG राज्य सरकार के खातों (वित्तीय और विनियोजन दोनों) का रखरखाव भी करता है, सभी राज्य सरकार के कर्मचारियों के लिए पेंशन प्राधिकरण प्रदान करता है, और कार्यरत कर्मचारियों के सामान्य भविष्य निधि खातों को भी मैनेज करता है।

तीन तरह के ऑडिट कर सकता है CAG

बता दें कि सीएजी तीन तरह के ऑडिट करता है। इसमें कंप्लायंस ऑडिट है, जिसमें यह आकलन किया जाता है कि लागू कानूनों, नियमों और विनियमों के प्रावधानों तथा सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी विभिन्न आदेशों और निर्देशों का पालन किया जा रहा है। इसके अलावा निष्पादन ऑडिट योजनाओं या कार्यक्रमों के कार्यान्वयन का आकलन करता है। वहीं एक वित्तीय ऑडिट है, जो कि सरकार के खातों और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के खातों का प्रमाणन करता है।

CAG कैसे सिलेक्ट करता है ऑडिट का सब्जेक्ट?

किसी विषय को अंतिम रूप देने से पहले CAG जोखिम मूल्यांकन प्रक्रिया का पालन करता है, जिसमें विभिन्न कारकों को ध्यान में रखा जाता है। इन मानदंडों के आधार पर, CAG का कार्यालय वार्षिक ऑडिट योजना को मंजूरी देता है, जिसे क्षेत्रीय कार्यालयों में लागू किया जाता है। एक ऑडिट सलाहकार बोर्ड भी है, जो साल में दो बार बैठक करता है और ऑडिट के लिए विषय और पद्धतियां सुझाता है। सरकार या अदालतें भी CAG ऑडिट की सिफारिश कर सकती हैं।

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क्या होती है CAG ऑडिट की प्रक्रिया?

ऑडिट का टॉपिक चुनने के बाद CAG उस विभाग या संगठन के साथ एक प्रवेश सम्मेलन आयोजित करता है जिसका ऑडिट किया जा रहा है। इस सम्मेलन में, CAG अधिकारी संबंधित निकाय को ऑडिट के लिए अपनी योजनाओं, अपनाई जाने वाली कार्यप्रणाली और एक संभावित समयसीमा जैसे मामलों के बारे में जानकारी देते हैं। वे रिकॉर्ड और दस्तावेज़ों तक पहुंचने में सहायता भी मांगते हैं।

ऑडिट के बाद महालेखा परीक्षक के कार्यालय के अधिकारी विभाग या संगठन के साथ अपने निष्कर्षों को साझा करने और उनसे जवाब मांगने के लिए एक एग्जिट कॉन्फ्रेंस आयोजित करते हैं। हर एक अनुपालन ऑडिट के लिए एंट्री और एग्जिट कॉन्फ्रेंस रखी जाती है। CAG ऑडिट किए गए विभाग के साथ एक मसौदा रिपोर्ट साझा करता है। आम तौर पर विभाग को छह सप्ताह के भीतर जवाब देना होता है। इसके बाद, CAG रिपोर्ट पर हस्ताक्षर करता है और इसे राष्ट्रपति या राज्यपाल को भेजता है। फिर सरकार रिपोर्ट को विधानमंडल के समक्ष रखती है।

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कब पब्लिक होती है रिपोर्ट?

CAG की रिपोर्ट सदन में रखे जाने के बाद ही सार्वजनिक होती है। लोक लेखा समिति चयनित रिपोर्टों की जांच करती है और सरकार से जवाब मांगती है। इसके अलावा PAC सरकार से सिफारिशों पर कार्रवाई करने और कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए भी कहती है। 2019 से लेकर पिछले साल जुलाई तक PAC ने लोकसभा को 152 रिपोर्ट सौंपी हैं। इनमें CAG ऑडिट रिपोर्ट की जांच और उन पर सरकार द्वारा की गई कार्रवाई शामिल है।

ऑडिट रिपोर्ट में सरकारी खजाने को हुए नुकसान और प्रक्रियागत नुकसानों पर ध्यान दिया जाता हैं और बदलाव के लिए सिफारिशें की जाती हैं। उदाहरण के लिए, तेलंगाना सरकार ने कुछ साल पहले CAG ऑडिट के बाद इंजीनियरिंग खरीद अनुबंध मोड में बदलाव किए थे। हाल के दशकों में जिन CAG रिपोर्टों का बड़ा असर हुआ है, उनमें 2G स्पेक्ट्रम के लाइसेंस और आवंटन पर रिपोर्ट शामिल है, जिसे नवंबर 2010 में पेश किया गया था। इसके चलते तत्तकालीन यूपीए सरकार की छवि खराब हुई थी, जिसके चलते 2014 में बीजेपी को केंद्र की सत्ता हासिल करने में आसानी हुई थी। दिल्ली की अन्य खबरें पढ़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें।