प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आरक्षण की बहस के बीच लगातार कांग्रेस पर निशाना साध रहे हैं। मंगलवार को बिहार में एक रैली के दौरान उन्होंने आरक्षण और नेहरू से जुड़ा एक बयान दिया जिससे एक नई बहस शुरू हो गई है।
पीएम ने कहा, ”सच्चाई यह है कि अगर अंबेडकर नहीं होते तो जवाहरलाल नेहरू ने एससी/एसटी के लिए आरक्षण की अनुमति नहीं दी होती।” पीएम ने एक बार फिर आरोप लगाया कि विपक्ष संविधान बदलकर धार्मिक अल्पसंख्यकों को आरक्षण देना चाहता है।
आरक्षण पर क्या थे नेहरू के विचार?
ऐसा पहली बार नहीं है कि पीएम मोदी ने आरक्षण पर बात करते हुए पूर्व पीएम जवाहर लाल नेहरू का ज़िक्र किया है। पहले वह सदन में भी यह बात कह चुके हैं। लेकिन लोकसभा चुनाव के आखिरी पड़ाव पर पीएम का यह भाषण काफी ज़ोर पकड़ सकता है।
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक जवाहरलाल नेहरू ने आरक्षण से संबंधित अनुच्छेदों पर संविधान सभा में जारी बहस में योगदान नहीं दिया था। पीएम बनने के बाद उन्होंने जून 1961 में मुख्यमंत्रियों को एक पत्र लिखा था। जिसमें उन्होंने पिछड़े समूहों को सशक्त बनाने के लिए नौकरियों में आरक्षण की बजाय बेहतर शिक्षा देने की वकालत की थी।
नेहरू ने पत्र में लिखा,“यह सच है कि हम अनुसूचित जाति (SC) एवं अनुसूचित जनजाति (ST) की मदद के बारे में कुछ नियमों और परंपराओं से बंधे हैं। वे मदद के पात्र हैं, लेकिन फिर भी मैं किसी भी प्रकार के आरक्षण को नापसंद करता हूं, खासकर नौकरियों में”
वह आगे लिखते हैं, “किसी पिछड़े समूह की मदद करने का एकमात्र सही तरीका अच्छी शिक्षा के अवसर देना है। इसमें तकनीकी शिक्षा भी शामिल है, जो लगातार महत्वपूर्ण होती जा रही है। बाकी सब कुछ एक तरह की बैसाखी की तरह है जो शरीर की ताकत या स्वास्थ्य को नहीं बढ़ा सकती।”
पत्र में उन्होंने आगे कहा कि सांप्रदायिक और जातिगत आधार पर आरक्षण ‘प्रतिभाशाली और सक्षम लोगों को बर्बाद कर देता है जबकि समाज दोयम दर्जे या तीसरे दर्जे का बना रहता है’। उन्होंने कहा, “मुझे यह जानकर दुख हुआ कि सांप्रदायिक विचार के आधार पर आरक्षण का यह मामला कितना आगे बढ़ गया है।”