Bihar Election 2025: बिहार में चुनाव की तैयारियों को लेकर चीफ इलेक्शन कमिश्नर (CEC) ज्ञानेश कुमार ने रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस की। ज्ञानेश कुमार ने कहा कि बिहार विधानसभा चुनाव 22 नवंबर से पहले होंगे। चुनाव आयोग ने कहा कि चूंकि बिहार विधानसभा 22 नवंबर को भंग होने वाली है, इसलिए उससे पहले ही चुनाव होंगे।
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा, “बिहार में 243 जनरल कॉस्टीट्यूएंसी हैं। एसटी 2 और अनुसूचित जातियों के लिए 38 हैं। बिहार विधानसभा का कार्यकाल 22 नवंबर 2025 को समाप्त हो रहा है और चुनाव 22 नवंबर से पहले होंगे। चुनाव आयोग की पूरी टीम दो दिनों से बिहार में मौजूद है। चुनाव आयोग के अधिकारियों ने बिहार पुलिस प्रशासन, प्रवर्तन एजेंसियों के प्रमुखों और नोडल अधिकारियों के साथ बैठकें की हैं।”
हमने सभी पार्टियों के सुझाव सुने- सीईसी
ज्ञानेश कुमार ने कहा, “हमने पार्टियों के सुझाव सुने हैं कि कितने चरण होने चाहिए और चुनाव आयोग जल्द ही इस पर फैसला लेगा। हर चीज के अपने फायदे और नुकसान होते हैं और हम इस पर गौर करेंगे। वोटर वेरिफिकेशन के संबंध में, चुनाव आयोग पहले से मौजूद दिशानिर्देशों का पालन करेगा।”
उम्मीदवारों की फोटो होगी रंगीन- ज्ञानेश कुमार
सीईसी ज्ञानेश कुमार ने कहा, “जब बैलेट पेपर ईवीएम में डाला जाता है, तो उस पर लगी फोटो ब्लैक एंड व्हाइट होती है, जिससे उसे पहचानना मुश्किल हो जाता है, हालांकि चुनाव चिन्ह बना रहता है। यह भी सुझाव दिया गया था कि सीरियल नंबर बड़ा होना चाहिए। इसलिए, बिहार चुनावों से शुरू होकर, देश भर में सीरियल नंबर का फॉन्ट बड़ा होगा और उम्मीदवारों की फोटो कलरफुल होंगी।”
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मुख्य चुनाव आयुक्त ने आगे कहा, “पहले जब वोटों की गिनती होती थी, तो अगर फॉर्म 17C, जो पीठासीन अधिकारी पोलिंग एजेंटों को देते हैं और ईवीएम काउंटिंग यूनिट में कोई अंतर होता था, तो ऐसे सभी वीवीपैट की पूरी गिनती की जाती थी। इसी तरह, ईवीएम काउंटिंग के अंतिम दो राउंड से पहले डाक मतपत्रों की गिनती अनिवार्य होगी। चुनाव खत्म होने के बाद बहुत से लोग जानना चाहते हैं कि कितने मतदाता थे, कितने पुरुषों ने मतदान किया और कितनी महिलाओं ने मतदान किया। अब, धीरे-धीरे, ईसीआई-नेट का इंपलिमेंटेशन हो रहा है। इसलिए, आप सभी चुनाव खत्म होने के कुछ दिनों के अंदर इन डिजिटल इंडेक्स कार्ड्स को देख पाएंगे।”
किसी भी पोलिंग बूथ पर 1200 से ज्यादा वोटर नहीं होंगे- सीईसी
ज्ञानेश कुमार ने कहा, “चुनाव आयोग ने फैसला किया है कि किसी भी पोलिंग बूथ पर 1200 से ज्यादा मतदाता नहीं होंगे।” उन्होंने आगे कहा, “मतदाताओं के पास जाते समय बूथ-लेवल अफसर की बेहतर पहचान के लिए पहचान पत्र जारी किए गए हैं। मोबाइल फोन बूथ के बाहर एक कमरे में जमा किए जा सकते हैं। यह प्रक्रिया पूरे बिहार में लागू होगी। हर पोलिंग बूथ पर 100% वेबकास्टिंग होगी।”
मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा, “सुप्रीम कोर्ट के आदेश और आधार अधिनियम के तहत, आधार को जन्म तिथि, एड्रेस प्रूफ या नागरिकता का प्रमाण नहीं माना जा सकता। चुनाव आयोग ने गणना फॉर्म में ही आधार कार्ड मांगा था। आधार अधिनियम या जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 26 के तहत आधार नंबर देना अनिवार्य नहीं है। यह वैकल्पिक है। आधार अधिनियम के तहत भी, आधार कार्ड न तो निवास का प्रमाण है और न ही नागरिकता का। अगर किसी ने 2023 के बाद आधार कार्ड बनवाया है या डाउनलोड किया है, तो सुप्रीम कोर्ट के कई आदेशों के तहत, आधार कार्ड में ही लिखा है कि आधार कार्ड जन्मतिथि का प्रमाण नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था और हम उस आदेश का पालन कर रहे हैं, कि आधार कार्ड स्वीकार किए जाने चाहिए। हम गणना फॉर्म में भी आधार कार्ड स्वीकार करते थे और अब भी कर रहे हैं। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा है कि आधार कार्ड नागरिकता का प्रमाण नहीं होग। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि यह नागरिकता का प्रमाण नहीं है। पात्रता के लिए अन्य दस्तावेजों की जरूरत हो सकती है।”
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सीईसी ज्ञानेश कुमार ने कहा, “जहां तक खर्च की सीमा का सवाल है, चुनाव आयोग द्वारा खर्च सीमा के संबंध में निर्देश जारी कर दिए गए हैं। हर जिले में एक व्यय पर्यवेक्षक भी नियुक्त किया गया है, जो रेवेन्यू सर्विस से होगा और खर्चों का हिसाब रखेगा। आप किसी भी प्रकार के उम्मीदवार हों, आपको आयोग द्वारा निर्धारित प्रक्रिया का पालन करना होगा। आपको अखबार में या जनता को यह बताना होगा कि आपका आपराधिक रिकॉर्ड है।”