प्रसिद्ध लेखिका गीतांजलि श्री को अंतर्राष्ट्रीय बुकर प्राइज से सम्मानित किया गया है। उन्हें चर्चित उपन्यास ‘टॉम्ब ऑफ सैंड’ के लिए बुकर प्राइज से सम्मानित किया गया है। मूल रूप से यह उपन्यास हिंदी में ‘रेत समाधि’ के शीर्षक से लिखा गया है और इसे अंग्रेजी में डेजी रॉकवेल ने अनुवाद किया है। यह पहला भारतीय उपन्यास जिसे इस पुरस्कार से नवाजा गया है। इस उपन्यास को हिंदी में राजकमल प्रकाशन की ओर से प्रकाशित किया गया है।

प्रसिद्ध हिन्दी कवि कुमार विश्वास ने गीतांजली श्री की जमकर तारीफ की है। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा, “हिंदी के वैश्विक जयघोष का इससे सुंदर चित्र क्या हो सकता है ? पहला बुकर और वो भी संवेदना-गंगोत्री एक महिला को। यह हिंदी की हर तुतलाहट का स्तवन है। हिंदी की अनंत अक्षौहिणी सेना के सबसे छोटे पदाती के रूप में मेरे लिए उत्सव का पल है।बधाई गीताँजली जी व राजकमल प्रकाशन को! जयहिंद,जय हिन्दी।”

गुरुवार को लन्दन में आयोजित समारोह में गीतांजलि श्री को बुकर प्राइज से नवाजा गया। गीतांजलि श्री को पुरस्कार राशि के रूप में 50 हजार ब्रिटिश पाउंड दिए गए। ये राशि लेखिका और अनुवादक के बीच बांटा जायेगा। ‘रेत समाधि’ उत्तर भारत की पृष्ठभूमि पर आधारित है और ये 80 वर्षीय एक बुजुर्ग महिला की कहानी पर आधारित है। 80 वर्षीय महिला अपने पति की मृत्यु के बाद डिप्रेशन में चली जाती है। अचानक से वह एक दिन डिप्रेशन से बाहर आती है और अपने अतीत का सामना करने पाकिस्तान पहुंच जाती है, क्योंकि बंटवारे के वक्त उनका परिवार वहां से छोड़कर आया था।

गीतांजलि श्री ने पुरस्कार ग्रहण करने के दौरान अपने संबोधन में कहा कि यह मेरे लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है। उन्होंने कहा, ‘‘मैंने कभी अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार जीतने का सपना नहीं देखा था। मैंने कभी सोचा नहीं था कि मैं यह कर सकती हूं। यह बहुत बड़ी उपलब्धि है। मैं अभिभूत हूं, प्रसन्न हूं और सम्मानित महसूस कर रही हूं। हिंदी भाषा के किसी उपन्यास को पहला अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार दिलाने का एक माध्यम बनकर बहुत अच्छा महसूस हो रहा है।”

लेखिका गीतांजलि श्री का जन्म उत्तर प्रदेश के मैनपुरी में हुआ है। लेकिन वो रहती दिल्ली में हैं। गीतांजलि श्री ने कई उपन्यास लिखे हैं और उनके उपन्यासों का अनुवाद अंग्रेजी के साथ-साथ सर्बियन, फ्रेंच, जर्मन, और कोरियाई भाषाओं में हो चुका है।