पश्चिम बंगाल में हिंसा, अराजकता, अव्यवस्था और अपराध की घटनाओं पर मुस्लिम समूह ने मुख्यमंत्री और टीएमसी चीफ ममता बनर्जी का ध्यान खींचा। दशकों से राजधानी कोलकाता में रह रहे इन लोगों ने चिट्ठी के जरिए सीएम से कहा है कि वह दोषियों को कड़ी सजा दें, फिर चाहे वे मुसलमान ही क्यों न हों। मुस्लिम होने के नाते उन्हें बख्शना ठीक नहीं है। अपील में यह भी कहा गया कि आरोपियों पर कार्रवाई से यह धारणा भी खत्म होगी, जिसमें आरोप लगता रहा है कि सरकार मुस्लिमों को बचाती और बढ़ावा देती है।

मुस्लिम समूह ने पत्र में हाल के दो मुद्दों का जिक्र किया है। इनमें पहला- बीते सोमवार को एनआरएस मेडिकल कॉलेज और हॉस्टिपल में हुई हिंसा शामिल है, जबकि दूसरा मामला पूर्व मिस इंडिया उशोषी सेनगुप्ता और उनके कैब ड्राइवर संग बदसलूकी का है। हालांकि, इन दोनों ही मामलों के आरोपी 24 घंटों के भीतर दबोच लिए गए थे।

चिट्ठी के अनुसार, “इन दोनों ही मामलों में हमलावर हमारे समुदाय के थे। हम इस पर शर्मिंदा हैं। हमलावरों पर मुकदमा दर्ज किया जाए…हर एक मामले में जहां मुस्लिम शामिल हों। उन्हें किसी भी हाल में छोड़ा नहीं जाना चाहिए। यह चीज हमारे समाज में साफ संदेश देगी कि उन्हें न जानकर तो बचाया जा रहा है और न ही बढ़ावा दिया जा रहा है।”

खत पर कुल 46 मुस्लिमों ने हस्ताक्षर किए थे, जिनमें मनोवैज्ञानिक, सामाजिक कार्यकर्ता और एनजीओ चलाने वाले लोगों से लेकर अन्य लोग शामिल हैं। इन लोगों ने चिट्ठी के जरिए ममता सरकार से यह भी अपील की कि कोलकाता भर के मुस्लिम युवाओं और उनके परिजन को लैंगिग मुद्दों, नागरिक चेतना और कानून के पालन को लेकर जागरूक किया जाना चाहिए। यह चीज थोड़ा समय मांगेगी, पर जरूरत है कि इसे सही तरीके से अमल में लाया जाए।