West Bengal Politics: पश्चिम बंगाल में बीजेपी अपनी पैठ बनाने की कोशिश कर रही है लेकिन उसे लगातार झटके लग रहे हैं। अब हल्दिया से बीजेपी की विधायक तापसी मंडल ने टीएमसी का दामन थाम लिया है। वह बीते चार सालों में सत्ताधारी टीएमसी का दामन थामने वाली चौथी विपक्षी विधायक हैं। उनके टीएमसी में जाने के साथ ही पश्चिम बंगाल विधानसभा में बीजेपी के विधायकों की संख्या गिरकर 65 पर आ गई है। बीजेपी छोड़कर टीएमसी में जाने वालों में मुकुल रॉय, कृष्ण कल्याणी, बिश्वजीत दास जैसे नेता शामिल हैं।

अब तापसी मंडल का टीएमसी में जाना इसलिए भी बीजेपी के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है क्योंकि वह हल्दिया में खासा प्रभाव रखती हैं। हल्दिया पूर्बा मेदिनीपुर जिले में एक महत्वपूर्ण इंडस्ट्रियल और फाइनेंशियल सेंटर है। इस क्षेत्र को अधिकारी परिवार का गढ़ भी माना जाता है। तापसी मंडल को अपने खेमे में शामिल कर टीएमसी पूर्बा मेदिनीपुर में बीजेपी की पकड़ को कमजोर करने की पूरी कोशिश कर रही है।

पूर्बा मेदिनीपुर में किस पार्टी पर कितनी सीटें?

द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, पूर्बा मेदिनीपुर जिले में 16 विधानसभा सीटें हैं। इनमें से बीजेपी के पास सात सीटें है। इन सात सीटों में ही शुभेंदु अधिकारी की नंदीग्राम विधानसभा सीट शामिल है। साल 2024 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने जिले में दो संसदीय सीटों पर कब्जा किया और 16 में से 15 विधानसभा सीटों पर बढ़त बनाई। अब टीएमसी तापसी मंडल के जरिए क्षेत्र में अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश करेगी। बीजेपी के लिए यह झटका इसलिए भी घातक है क्योंकि 2021 में पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव जीतने में विफल रहने के बाद से भगवा दल नेताओं की कमी का सामना कर रही है। यह झटका भी उसे विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी के क्षेत्र में लगा है।

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तापसी मंडल पर क्या सोचते हैं टीएमसी और बीजेपी?

टीएमसी के एक सीनियर नेता ने द इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा कि बीजेपी ने साल 2021 और लोकसभा चुनाव 2024 में पूर्बा मेदिनीपुर में अच्छा प्रदर्शन किया था। तापसी मंडल बीजेपी के सीनियर नेता शुभेंदु अधिकारी की करीबी थीं और उन्होंने भी उसी समय बीजेपी का दामन थामा था। तापसी मंडल की एंट्री से हमें न सिर्फ संगठनात्मक तौर पर मदद मिलेगी बल्कि हम शुभेंदु अधिकारी को काउंटर भी कर सकेंगे।

दूसरी तरफ बीजेपी और शुभेंदु अधिकारी ने दावा किया कि तापसी मंडल के जाने से उनपर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। शुभेंदु अधिकारी ने कहा कि इससे पहले मुकुटमणि अधिकारी, कृष्ण कल्याणी और विश्वजीत दास जैसे नेता भी टीएमसी में शामिल हुए और 2024 में लोकसभा चुनाव लड़े, लेकिन वे सभी बीजेपी से हार गए। लोग इसे (तापसी मंडल के पार्टी बदलने को) स्वीकार नहीं करेंगे। तापसी मंडल के पास कोई संगठनात्मक ताकत नहीं है। इससे हमें कोई फर्क नहीं पड़ेगा।

कौन हैं तापसी मंडल?

तापसी मंडल ने अपने सियासी करियर की शुरुआत CPI(M) से की थी। वह साल 2011 में हल्दिया नगर पालिका में पार्षद चुनी गई थीं। साल 2016 में लेफ्ट पार्टियों ने उन्हें आरक्षित सीट हल्दिया से चुनाव में उतारा। तब वह चुनाव जीते CPI(M) के तीस विधायकों में से एक थी। पूर्बा मेदिनीपुर में वह CPI(M) के टिकट पर जीती एकमात्र विधायक थीं।

साल 2020 में तापसी मंडल बीजेपी में शामिल हो गईं। तब उन्होंने कहा था कि वह टीएमसी और उसकी राजनीति से लड़ना चाहती है। शुभेंदु अधिकारी ने भी उसी समय बीजेपी का दामन थामा था। 2021 विधानसभा चुनाव में उन्होंने टीएमसी के प्रत्याशी को 15,000 वोटों से हराया था। सूत्रों के अनुसार, तापसी मंडल का हल्दिया में एक “मजबूत संगठनात्मक” आधार और कार्यकर्ताओं की एक समर्पित टीम है।

तापसी मंडल बीजेपी से क्यों नाराज हुईं?

द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, बीजेपी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, पिछले साल लोकसभा चुनाव में तापसी मंडल ने कलकत्ता हाई कोर्ट के जज से राजनेता बने अभिजीत गंगोपाध्याय की तामलुक से उम्मीदवारी का विरोध किया था। गंगोपाध्याय जीत गए और तब से स्थानीय मुद्दों को लेकर दोनों के बीच तनाव बना हुआ है। एक तीखे बयान में गंगोपाध्याय ने कहा कि तापसी मंडल एक “भ्रष्ट नेता” हैं जो “अपनी जगह पर चली गईं”।

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