पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव की वोटिंग संपन्न हो गई। मतदान करने कई लोग बाहर निकले, सभी ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया। लेकिन बाहर जो नजारा देखा गया, वो खौफजदा करने वाला रहा। लोकतंत्र का सबसे पावन दिन खूनी संघर्ष की वजह से सुर्खियों में रहा। एक पंचायत चुनाव ने 15 लोगों की जान ले ली। कई लोग बुरी तरह घायल हुए, बड़े स्तर पर बूथ कैपचरिंग हुई, बंदूक के दम पर डराने-धमकाने का काम भी चलता रहा।
बंगाल में जबरदस्त हिंसा, कई मारे गए
शनिवार को जब से मतदान शुरू हुआ, हिंसा का दौर भी तभी शुरू हो गया। सबसे ज्यादा प्रभावित जिले मुर्शिदाबाद, दक्षिण 24 परगना, मालदा और बीरभूम रहा। यहां भी मुर्शिदाबाद में सबसे ज्यादा पांच लोगों की मौत हुई, वहीं मालदा, पूर्व बर्द्धमन और कूचबिहार में भी दो-दो लोगों ने अपनी जान गंवाई। इसके अलावा दक्षिण परगना, नदिया, दिनाजपुर में एक-एक शख्स की मौत हुई। ऐसे में मौत का कुल आंकड़ा 15 पहुंच गया। यहां भी टीएमसी के सबसे ज्यादा 9 कार्यकर्ताओं की मौत हुई, वहीं बीजेपी-कांग्रेस के भी 2 कार्यकर्ताओं ने अपनी जान गंवाई।
बड़े स्तर पर हुई धांधली, नाले में मिली मतपेटी
अब एक तरफ बड़े स्तर पर हिंसा ने कानून व्यवस्था पर सवाल उठाए, तो इसके अलावा चुनाव के दौरान धांधली भी देखने को मिली। इसके बकायदा कई वीडियो सामने आए हैं जहां पर बड़े पैमाने पर मतपेटियों और मतपत्रों को लूटा गया है। हैरानी की बात ये है कि कुछ जगहों पर बैलेट पेपर और मतपेटी नाले तक में मिलीं। यहां पर विपक्षी दलों ने टीएमसी पर धांधली करने का आरोप लगाया।
राज्यपाल नाराज, कई जिलों का किया दौरा
चुनाव के दौरान हुई हिंसा से राज्यपाल आनंद बोस खासा नाराज हैं। उनकी तरफ से जोर देकर कहा गया है कि बंगाल में गरीब ही हमला कर रहा है, गरीब ही मारा रहा है। जिस बंगाल में गरीबी को खत्म करना चाहिए, वहां पर गरीबों को मारने का काम हो रहा है। इससे पहले हिंसा को देखते हुए राज्यपाल ने खुद कई जिलों का दौरा भी किया था।
BSF ने बताया क्यों हुई हिंसा
वैसे इस पूरे बवाल को लेकर राजनीतिक दलों के बीच तो आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल ही रहा है, इसके अलावा बीएसएफ के एक बयान ने भी चर्चाओं का बाजार गर्म कर दिया है। असल में बीएसएफ ने दावा किया है कि जिन भी इलाकों में उनकी तैनाती की गई थी, वहां पर कोई हिंसा नहीं हुई। जारी बयान में बताया गया कि बूथ पर सुरक्षा बलों की तैनाती रहे, ये काम राज्य चुनाव आयोग को देखना था। डीएम ने ही अपने मुताबिक जिलों में सुरक्षाबल तैनात किए थे। यानी कि यहां भी आरोप प्रत्यारोप का दौर देखने को मिल रहा है।
