पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शनिवार को न्यायपालिका को लेकर बड़ा बयान दे दिया। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका को राजनीतिक रूप से निष्पक्ष, ईमानदार और पवित्र होना चाहिए। इस कार्यक्रम में भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ भी मौजूद थे।

ममता बनर्जी ने कहा कि पश्चिम बंगाल में 88 फास्ट ट्रैक अदालतें हैं, जिसमें से 55 केवल महिलाओं के लिए हैं। उन्होंने कहा कि हमारे राज्य में 99 मानवधिकार अदालतें हैं। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने यह भी कहा कि देश की न्यायपालिका को पूरी तरह निष्पक्ष होना चाहिए और गोपनीयता भी बरकरार रखनी चाहिए।

ममता बनर्जी को CJI ने दिया जवाब

ममता बनर्जी ने कहा कि न्याय तंत्र हमारे लिए पवित्र मंदिर, चर्च, मस्जिद या गुरुद्वारे की तरह है। ममता बनर्जी के बयान पर सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि जजों की तुलना भगवान से करने की परंपरा खतरनाक है, क्योंकि हमारी जिम्मेदारी आम लोगों के हित में काम करने की है। उन्होंने कहा, “हमे ऑनर या लॉर्डशिप कहकर संबोधित किया जाता है। जब लोग अदालत को न्याय का मंदिर बताते हैं तो एक बड़ा खतरा है। बड़ा खतरा है कि हम खुद को उन मंदिरों में बैठे भगवान मानने लगते हैं।”

सीजेआई चंद्रचूड़ ने लगा दी ममता की क्लास

सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि जब उनसे कहा जाता है कि अदालत न्याय का मंदिर होता है तो वह कुछ बोल नहीं पाते हैं क्योंकि मंदिर का मतलब है कि जज भगवान की जगह हैं। चंद्रचूड़ ने कहा कि बल्कि मैं कहना चाहूंगा कि जजों का काम लोगों की सेवा करना है।

चंद्रचूड़ जब यह बोल रहे थे तब ममता बनर्जी भी यहां बैठी थीं। चंद्रचूड़ ने कहा कि जब आप खुद को ऐसे व्यक्ति के रूप में देखेंगे जिनका काम लोगों की सेवा करना है तो आपके अंदर दूसरे के प्रति संवेदना और पूर्वाग्रह मुक्त न्याय करने का भाव पैदा होगा। उन्होंने कहा कि किसी क्रिमिनल केस में भी सजा सुनाते समय जज संवेदना के साथ ऐसा करते हैं क्योंकि अंतिम में किसी इंसान को सजा सुनाई जा रही है।