पश्चिम बंगाल के हावड़ा में आपसी भाईचारे की मिसाल देखने को मिली है। दरअसल यहां एक व्यक्ति की मौत के बाद कोरोना संक्रमण के डर से श्मशान घाट पर अंतिम संस्कार करने से इंकार कर दिया। इतना ही नहीं डोम ने भी शव को छूने से इंकार कर दिया। इसके बाद मुस्लिम पड़ोसियों ने मिलकर मृतक का अंतिम संस्कार कराया। पड़ोसियों ने ना सिर्फ श्मशान घाट वालों को समझाया बल्कि मृतक का अंतिम संस्कार भी कराया।

घटना कोलकाता से 48 किलोमीटर दूर स्थित हावड़ा के छोटे से कस्बे उलुबेरिया की है। यहां हिंदू मुस्लिम की मिश्रित आबादी है। यहां रहने वाले रबिन्द्रनाथ पाल की शनिवार की रात 62 साल की उम्र में मौत हो गई। वह बीते कुछ दिनों से बीमार थे। पाल के निधन के बाद कोरोना वायरस से डर से इलाके के तीनों श्मशान घाट ने शव का अंतिम संस्कार करने से इंकार कर दिया।

इस पर मुस्लिम पड़ोसी पाल परिवार की मदद के लिए आगे आए। उन्होंने इलाके के काउंसलर के साथ मिलकर तीसरे श्मशान घाट के लोगों को समझाया और शव का अंतिम संस्कार कराया। टेलीग्राफ इंडिया की एक खबर के अनुसार, एक स्थानीय निवासी शेख खैरुल हसन ने बताया कि ‘हम कई सालों से साथ रह रहे हैं। हमारे परिवारों में घनिष्टता है, इसलिए ऐसे मुश्किल वक्त में इन्हें छोड़ने का सवाल ही कहां उठता है।’

कोरोना वायरस के संक्रमण की ऐसी दहशत है कि लोग कोरोना मरीजों का अंतिम संस्कार में भी शामिल होने से हिचक रहे हैं। मध्य प्रदेश के भोपाल में एक ऐसा मामला सामने आया था, जिसमें एक व्यक्ति ने अपने पिता का ही अंतिम संस्कार करने से इंकार कर दिया था। दरअसल पिता की मौत कोरोना संक्रमण से हुई थी। काफी समझाने के बाद भी जब बेटा नहीं माना था तो तहसीलदार ने मृतक का बेटा बनकर मुखाग्नि दी।