Kavach System: पश्चिम बंगाल के न्यू जलपाईगुड़ी में एक बड़ा ट्रेन हादसा हुआ। इस हादसे में एक मालगाड़ी ने सियालदाह जाने वाली कंचनजंगा एक्सप्रेस को पीछे से जोरदार टक्कर मार दी। हादसे में करीब 8 लोगों की मौत हो गई है और 50 लोग घायल हैं। कंचनजंगा एक्सप्रेस के हादसे का शिकार हो जाने के बाद एक बार फिर से कवच सिस्टम के विषय में चर्चा होने लगी है। कवच सिस्टम को लेकर रेलवे बोर्ड की चेयरमैन और सीईओ जया वर्मा ने कुछ बातें बताई हैं।
जया वर्मा ने बताया कि दिल्ली गोवाहाटी रूट पर कवच सिस्टम शुरू करने की प्लानिंग तो बहुत पहले से है लेकिन फिलहाल यह ऑपरेशनल नहीं था। यानी यह व्यवस्था अभी तक इस रूट पर लागू नहीं हो पाई है। उन्होंने आगे कहा कि कवच पर अभी और काम करना बाकी है। अभी तक यह केवल 1500 किलोमीटर के रुट पर ही लागू है। इस साल 3 हजार किलोमीटर और लग जाएगा। दिल्ली-गुवाहाटी रुट अगले प्लान में है। इसके बाद अगले साल और 3000 की प्लानिंग है। उन्होंने आगे कहा कि जो कवच की आपूर्ति करते हैं उनको भी प्रोडक्शन बढ़ाना है। इस साल जो 3000km में कवच लगने हैं, उसमें बंगाल भी शामिल है।
रेलवे बोर्ड की चेयरमैन ने जांच के विषय में क्या कहा
रेलवे बोर्ड की चेयरमैन ने कहा कि शुरुआती तौर पर यह मानवीय चूक लग रही है। सिग्नल डिस्गार्ड का मामला हो सकता है। सीधे तौर पर बताए तो सिग्नल के हिसाब से मालगाड़ी रुकनी चाहिए थी लेकिन वह नहीं रुकी। जया वर्मा ने कहा कि हादसे की गहनता से जांच की जाएगी। इतना ही नहीं उन्होंने यह भी कहा कि मानवीय चूक पर और ज्यादा से ज्यादा काम किया जाएगा।
क्या है कवच सिस्टम
अब हम बात करतें हैं कि कवच सिस्टम की। यह एक ऑटोमेटिक ट्रेन प्रोटेक्शन सिस्टम है। इसको आरडीएसओ की मदद से डेवलप किया गया गया है। इस पर साल 2012 में काम शुरू हुआ था। इसको चरणबद्ध तरीके से लागू किया जा रहा है। कवच सिस्टम का केवल एक ही उद्देश्य है वह है किसी भी तरह ट्रेन हादसे को रोकना। कवच सिस्टम में सेंसर शामिल होता है। यह रेडियो फ्रीक्वेंसी के जरिये जानकारी देता है। अगर किसी भी ट्रेन का ड्राइवर सिग्नल को तोड़ता है तो कवच एक्टिव हो जाता है। यह सिस्टम इसके बाद ड्राइवर को अलर्ट कर देता है। साथ ही ट्रेन के ब्रेक का कंट्रोल भी खुद ही संभाल लेता है। साथ ही पीछे से कोई अगर ट्रेन आ रही हो तो उसकी रफ्तार धीमी पड़ जाती है और ट्रेनों की टकराने की स्थिति पैदा नहीं होती है।