पश्चिम बंगाल भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष द्वारा संशोधित नागरिकता कानून विरोधी प्रदर्शनकारियों के खिलाफ की गई टिप्पणी से विवाद खड़ा हो गया है। दरअसल दिलीप घोष ने अपने बयान में कहा था कि “सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों को भाजपा शासित राज्यों में कुत्तों की तरह गोलियों से मारा गया।” घोष के बयान पर राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों के साथ ही भाजपा के कुछ नेताओं ने भी कड़ी आपत्ति जताई है।
बता दें कि दिलीप घोष ने रविवार को नादिया जिले में एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि ‘दिसंबर में राज्य में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों पर गोली चलाने और लाठीचार्ज करने का आदेश नहीं दिया था।’ इसे लेकर भाजपा नेता ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की आलोचना की थी।
उन्होंने कहा था, “दीदी की पुलिस ने उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जिन्होंने सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया क्योंकि वे उनके मतदाता थे। उत्तर प्रदेश, असम और कर्नाटक में हमारी सरकारों ने इन लोगों को कुत्तों की तरह गोली चलाकर मार दिया।” अब घोष के इस बयान की भाजपा नेताओं ने ही आलोचना की है। केंद्रीय मंत्री तथा भाजपा नेता बाबुल सुप्रियो ने घोष के बयान को ‘गैरजिम्मेदाराना’ करार दिया है।
उन्होंने ट्वीट कर कहा कि, “पार्टी के नाते भाजपा का उससे कुछ लेना देना नहीं है जो दिलीप घोष ने अपनी कल्पना के अनुरूप कहा होगा। उत्तर प्रदेश और असम में भाजपा सरकारों ने कभी भी लोगों पर गोलियां नहीं चलाईं, कारण जो भी रहा हो। दिलीप दा ने जो कहा, वो बहुत गैरजिम्मेदाराना है।”
वहीं तृणमूल कांग्रेस के नेताओं ने प्रदेश भाजपा अध्यक्ष पर हमला करते हुए कहा कि उनकी टिप्पणी भाजपा की इस सोच को दिखाती है कि उन्हें असहमति बर्दाश्त नहीं है। तृणमूल कांग्रेस महासचिव और प्रदेश सरकार में मंत्री पार्थ चटर्जी ने कहा, “यह भाजपा की सोच दिखाती है। यह दिलीप घोष का इकलौता बयान नहीं है। यह भाजपा की सोच और एजेंडा है। वे असहमति पसंद नहीं करते।”
घोष के बयान पर माकपा के वरिष्ठ नेता सुजान चक्रवर्ती ने कहा, “भाजपा दावा कर रही है कि उनकी राज्य सरकारों ने गोली नहीं चलाई। अब सच सामने आ गया है। दिलीप घोष ने हकीकत बयां कर दी है।”
इससे पहले दिलीप घोष ने अपने बयान में कहा था कि आगजनी और तोड़फोड़ में शामिल लोगों को उत्तर प्रदेश की तरह गोली मार देनी चाहिए। उन्होंने कहा, “वे यहां आते हैं, सारी सुविधाओं का फायदा उठाते हैं और देश की संपत्ति को नुकसान पहुंचाते हैं। क्या यह उनकी जमींदारी है?” घोष ने मांग की कि हिंदू बंगालियों के हितों को नुकसान पहुंचा रहे लोगों को पहचानना होगा।
(भाषा इनपुट के साथ)