पश्चिम बंगाल के मालदा में पैगंबर मोहम्मद के कथित अपमान के खिलाफ हुए विरोध प्रदर्शन के दौरान हिंसा के मामले में तथ्य तलाशने गई बीजेपी सांसदों की टीम को कालियाचक जाने से रोक दिया गया। बीजेपी सांसद भूपेंद्र यादव, राम विलास वेदांती और एसएस आहलूवालिया मालदा स्टेशन पर गौर एक्सप्रेस से उतरे थे, लेकिन जिले के अधिकारियों ने उन्हें वापस जाने को कह दिया। सांसद भूपेंद्र यादव ने कहा, ‘हम पश्चिम बंगाल सरकार के इस कदम की निंदा करते हैं।’ उन्होंने यह भी बताया कि सांसदों को हावड़ा जा रही शताब्दी एक्सप्रेस में जबरन बिठाकर वापस भेज दिया गया। आपको बता दें कि कुछ दिन पहले भी मालदा जा रहे 25 सदस्यीय बीजेपी प्रतिनिधिमंडल को हिरासत में ले लिया गया था। वहीं मालदा जा रहे माकपा नेता मोहम्मद सलीम को अमृति के पास पुलिस ने रोक दिया।
दो दिन पहले पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने दावा किया था कि मालदा हुई हिंसा सांप्रदायिक नहीं थी। बंगाल ग्लोबल समिट के समापन सत्र के दौरान उन्होंने दावा किया था कि मालदा में जो हुआ वो अलग मुद्दा है। यह बीएसएफ और स्थानीय लोगों के बीच एक मुद्दा था। आपको इस तरह का सवाल यहां नहीं पूछना चाहिए, क्योंकि तथ्यों को तोड़ा-मरोड़ा गया है और वहां जो हुआ वो गलत सूचना है।
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मालदा में तीन दिंसबर को हिंसा हुई थी। पैगबंर मोहम्मद के कथित अपमान के खिलाफ 2.5 लाख मुसलमान सड़कों पर उतरे थे। इसी बीच जबर्दस्त हिंसा हुई थी। प्रदर्शनकारियों ने कई वाहनों को आग के हवाले कर दिया था और कई सुरक्षाकर्मियों को मौके से भागना पड़ा था। इसी प्रकार से कुछ दिन पहले बिहार में भी इसी मुद्दे के खिलाफ करीब 40,000 लोग विरोध करने निकले थे और वहां भी पुलिस थाना छोड़कर भाग गई थी। मालदा हिंसा मामले में केंद्र सरकार ने बंगाल सरकार से रिपोर्ट मांगी है।
क्या है मामला
यह पूरा विवाद उस वक्त शुरू हुआ, यूपी के कैबिनेट मंत्री आजम खान ने 29 नवंबर को कथित तौर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बारे में कुछ आपत्तिजनक टिप्पणी की। कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक, इसकी प्रतिक्रिया में ही तिवारी ने कथित टिप्पणी की। कुछ दिन तक उनका बयान सोशल मीडिया पर सर्कुलेट हुआ, जिसके बाद मुस्लिम धर्मगुरुओं का ध्यान इस ओर गया। बाद में तिवारी का बयान उर्दू मीडिया में भी छपा। बयान पर पहली प्रतिक्रिया स्वरुप 2 दिसंबर को सहारनपुर के देवबंद में एक बड़ा प्रदर्शन हुआ। इसमें दारूल उलूम के स्टूडेंट्स शामिल हुए। मुसलमानों में फैले गुस्से के मद्देनजर तिवारी को 2 दिसंबर को अरेस्ट कर लिया गया। वह फिलहाल जेल में हैं। शांति कायम करने के लिए सीएम अखिलेश यादव ने मुस्लिम धर्मगुरुओं के साथ बीते बुधवार को अपने आवास पर मीटिंग भी की। सीएम ने आश्वासन दिया कि तिवारी के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

