भारतीय मौसम विभाग समय के साथ एडवांस तकनीक का प्रयोग कर रहा है। इसका फायदा यह हुआ है कि पहले की तुलना में मौसम को लेकर अनुमान ज्यादा बेहतर हुआ है। अब मौसम के पूर्वानुमान को लेकर एक और अच्छी खबर है, जिसका फायदा किसानों को हो सकता है। न्यूज एजेंसी PTI की एक रिपोर्ट के अनुसार, सरकार डोमेस्टिक एयरलाइंस के लिए एयरक्राफ्ट द्वारा टेक-ऑफ और लैंडिंग के दौरान कैप्चर किए गए मौसम संबंधी डाटा को IMD के साथ शेयर करना अनिवार्य बनाने की योजना बना रही है।
PTI से बातचीत में यूनियन मिनिस्ट्री ऑफ अर्थ साइंस के सेक्रेटरी एम रविचंद्रन ने कहा कि इस विषय पर मिनिस्ट्री सिविल एविएशन मंत्रालय से बातचीत कर रही है और एक साल के अंदर मौसम संबंधित डेटा शेयर करना अनिवार्य कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस अनिवार्य बनाना होगा। यह न सिर्फ एयरलाइन ऑपरेशन बल्कि हर जगह मौसम के पूर्वानुमान के लिए लाभदायक होगा।”
मिनिस्ट्री ऑफ अर्थ साइंस के सेक्रेटरी एम रविचंद्रन ने बताया कि मौसम का पूर्वानुमान काफी हद तक जमा की गई ऑब्जर्वेशनंस की संख्या पर निर्भर है। उन्होंने आगे कहा कि जितने ज्यादा ऑब्जर्वेशन हमारे पास होंगे, उतना ही बेहतर हमारा प्रेडिक्शन होगा। उन्होंने कहा कि यह एग्जिट पोल जैसे ही है, जहां आप ज्यादा जगहों से डाटा लेते हैं तो आपको बेहतर पिक्चर मिलती है। इसी तरह हमारा उद्देश्य जहां भी संभव हो तापमान, ह्यूमिडिटी और हवा के बारे में जानकारी जमा करना है।
Weather Forecast में कैसे मदद करेंगे विमान?
रविचंद्रन ने बताया कि वर्टिकल वेदर ऑब्जर्वेशन (एयरक्राफ्ट और वेदर बलून से प्राप्त) ग्राउंड ऑब्जर्वेशन से ज्यादा महत्वपूर्ण हैं क्योंकि वो वायुमंडल की कंप्लीट पिक्चर देते हैं न कि सिर्फ सतह पर जो हो रहा है उसकी। उन्होंने कहा कि तूफान जैसे वेदर सिस्टम वायुमंडल में बनते और विकसित होते हैं, जहाँ विभिन्न ऊंचाइयों पर तापमान, ह्यूमिडिटी और हवा की स्थिति महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
IMD अपने स्टेशनों से 50-60 वेदर बलून लॉन्च करती है, इसका मकसद विभिन्न ऊंचाइयों पर तापमान, ह्यूमिडिटी और हवा पर महत्वपूर्ण डाटा एकत्र करना होता है। लैंडिंग और टेक ऑफ के दौरान एयरक्रॉफ्ट भी वेदर डाटा रिकॉर्ड करते हैं। यह डाटा ग्राउंट को रियल टाइम ट्रांसमिट और पूर्वानुमान मॉडल में इंटीग्रेट किया जाता है। सीमित संख्या में वेदर बलून के उलट हजारों विमान डाटा रिले कर सकते हैं।
रविचंद्रन ने बताया कि इंटरनेशनल रूट्स पर ऑपरेट कर रहे सभी एयरक्रॉप्ट वेदर डाटा प्रदान करते हैं क्योंकि इसको लेकर नियम है। हालांकि डोमेस्टिक एयरलाइंस ऐसा नहीं करतीं क्योंकि उनके लिए यह अनिवार्य नहीं है। उन्होंने कहा कि कई देशों ने अपनी एयरलाइनों के लिए यह डाटा उपलब्ध कराना अनिवार्य कर दिया है और भारत में भी ऐसी ही व्यवस्था की जरूरत है। उन्होंने यह भी कहा कि एयरक्रॉफ्ट पहले से यह डाटा जमा कर रहे हैं, ये विषय अलग है कि वो इसे शेयर नहीं करते।