दिल्ली में गुरुवार शाम मौसम बदल गया। बारिश के बाद राजधानी में पारा लुढ़क गया। कुछ जगह हल्की-फुल्की बूंदा-बांदी हुई, जबकि कई इलाकों में झमाझम पानी गिरा। समाचार एजेंसी ANI के मुताबिक, रात साढ़े आठ बजे केंद्रीय सचिवालय वाले इलाके में कामराज रोड के पास हल्की-फुल्का पानी गिरा।
रात करीब नौ बजे India Meteorological Department (IMD) के हवाले से न्यूज एजेंसी ने बताया था- अगले एक घंटे तक दिल्ली और उसके आस-पास के इलाकों में बारिश, बिजली, गर्जना और 30-40 किमी प्रतिघंटे की रफ्तार से हवा चलेगी।
मौसम विभाग के मुताबिक, दिल्ली में सुबह 8:30 बजे न्यूनतम तापमान 14.4 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो सामान्य से एक डिग्री ज्यादा है। आर्द्रता का स्तर 88 प्रतिशत दर्ज किया गया।
अधिकारी ने बताया कि सफदरजंग वेधशाला में 4.2 मिलीमीटर, पालम वेधशाला में 5.6 मिमी, लोधी रोड क्षेत्र में 3.6 मिमी, रिज क्षेत्र 7.7 मिमी और आया नगर वेधशाला 3 मिमी बारिश दर्ज की गई।

हालांकि, इससे तीन घंटे पहले राजस्थान के जयपुर के भी कई हिस्सों में बारिश के साथ ओलावृष्टि हुई थी।
Massive #Hailstorm in #Jaipur! Climate change is a reality which we’re still not accepting. And mind you, it is more of a man made disaster than a natural occurrence… pic.twitter.com/kYTCtaTGiu
— Priti Gandhi (@MrsGandhi) March 5, 2020
राजस्थान में अगले तीन दिन बारिश की संभावनाः मौसम विभाग के अनुसार अगले तीन-चार दिन में राजस्थान में पश्चिमी विक्षोभ की सक्रियता के कारण जयपुर, भरतपुर संभाग में कहीं-कहीं बादल गरजने के साथ हल्की वर्षा, बिजली और ओले गिरने की संभावना है। वहीं जोधपुर, बीकानेर संभाग में भी कहीं-कहीं हल्की बारिश होने की संभावना है। मौसम विभाग ने पांच और छह मार्च को जयपुर, कोटा, भरतपुर, जोधपुर, बीकानेर में कहीं-कहीं बादल गरजने के साथ ओलावृष्टि का अनुमान जताया है।

‘भारत को भी करना पड़ सकता है भारी गर्मी का सामना’: एक अध्ययन के अनुसार 2003 में पश्चिमी यूरोप में और 2010 में रूस में जैसी भीषण गर्मी पड़ी थी वैसी गर्मी भारत में आम हो रही है। यूरोप और रूस में भीषण गर्मी के कारण लगभग 1,000 लोगों की मौत हो गयी थी और फसलें बर्बाद हो गई थीं। ‘‘साइंटिफिक रिपोर्ट्स’’ नामक पत्रिका में प्रकाशित रिपोर्ट में भारत में भारी गर्मी के लिए प्रमुख कारकों की पहचान की गयी है।
अध्ययन में भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के आंकड़ों को शामिल करते हुए 1951-1975 और 1976-2018 के बीच भीषण गर्मी की आवृत्ति और तीव्रता में परिवर्तन पर गौर किया गया। पूरे भारत में लगभग 395 गुणवत्ता नियंत्रण केंद्रों द्वारा एकत्र आंकड़ों का विश्लेषण करते हुए वैज्ञानिकों ने देश में अत्यधिक तापमान के लिए जिम्मेदार तंत्र की पहचान की। अध्ययन करने वाले समूह में पुणे स्थित भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (आईआईटीएम) के वैज्ञानिक भी शामिल थे। (पीटीआई-भाषा इनपुट्स के साथ)