Supreme Court To Centre: सुप्रीम कोर्ट ने अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू से जुड़े एक मामले में केंद्र सरकार से कहा कि हमें स्पष्ट जवाब चाहिए है। शीर्ष अदालत ने मंगलवार को इस आरोप को गंभीरता से लिया कि अरुणाचल प्रदेश में सार्वजनिक कार्यों के विभिन्न ठेके मुख्यमंत्री पेमा खांडू के परिवार के सदस्यों से जुड़ी कंपनियों को दिए गए।

सीजेआई संजीव खन्ना, जस्टिस पीवी संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की खंडपीठ ने केंद्रीय वित्त मंत्रालय और केंद्रीय गृह मंत्रालय को एक रिपोर्ट दाखिल करने और आरोपों पर स्पष्टीकरण देने को कहा।

बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, पीठ ने कहा, ‘हम वित्त मंत्रालय और गृह मंत्रालय की रिपोर्ट चाहते हैं। सीएजी रिपोर्ट न तो यहां है और न ही वहां। हमारे पास स्पष्ट जवाब होना चाहिए कि वे कौन से पक्ष हैं जिन्हें ठेका दिया गया है और प्रक्रिया क्या है। यदि निविदाएं नहीं मंगाई गईं, तो यह बताया जाना चाहिए। दोनों मंत्रालयों को स्पष्ट रूप से सामने आना चाहिए। हमें यह भी देखना होगा कि इसके पीछे कौन लोग हैं। ‘

कोर्ट ने अरुणाचल प्रदेश सरकार और भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) से भी इसी प्रकार की रिपोर्ट मांगी है। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 21 जुलाई के लिए सूचीबद्ध करते हुए आदेश दिया कि हमें अरुणाचल प्रदेश सरकार से विस्तृत हलफनामा चाहिए, जिसमें उन पक्षों का ब्यौरा हो, जिन्हें अनुबंध दिया गया था और याचिका में उल्लिखित अनुबंध का संदर्भ हो। इसके अलावा, उत्तर में प्रतिवादी 4 से 6 को दिए गए अनुबंधों का भी उल्लेख होना चाहिए। वित्त और गृह मंत्रालय को विस्तृत हलफनामा दाखिल करना चाहिए और सीएजी को भी अनुबंधवार विवरण और जिन व्यक्तियों को अनुबंध दिया गया था, उनका विवरण प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है।

सुप्रीम कोर्ट एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें आरोपों की केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) या विशेष जांच दल (एसआईटी) से जांच कराने की मांग की गई थी। अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने याचिकाकर्ता सेव मोन रीजन फेडरेशन का प्रतिनिधित्व किया। उन्होंने कहा कि स्थिति चौंकाने वाली है। राज्य को एक निजी लिमिटेड कंपनी की तरह चलाया जा रहा है। सभी ठेके उनकी पत्नी की कंपनी, उनके चचेरे भाई की कंपनी आदि को दिए गए हैं।

इस प्रश्न के उत्तर में कि इसमें कितने अनुबंध शामिल थे, भूषण ने कहा कि सैकड़ों… सैकड़ों करोड़ के लिए। अपनी पत्नी की कंपनियों को सैकड़ों करोड़ के 70 ठेके दिए। जवाब में कहा गया कि रोजगार सृजन के लिए जमीन मुफ्त दी गई है।

हालांकि, अरुणाचल प्रदेश सरकार का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने जनहित याचिका को कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग बताया। कोर्ट को बताया गया कि कि सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि अरुणाचल प्रदेश थोड़ा अलग है और वह वह सब कुछ कर रहा है जो वह कर सकता है… और यह सब कानून के अनुसार है। यह राजनीति से प्रेरित है… याचिकाकर्ता कुछ लोगों का एक छोटा समूह है जो राज्य में विकास नहीं चाहते हैं।

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हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने भारत के अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी से कहा कि इस मामले में केंद्रीय मंत्रालयों द्वारा जवाब दाखिल किया जाना आवश्यक है। तदनुसार, न्यायालय ने आरोपों पर रिपोर्ट मांगी। याचिका के अनुसार, मुख्यमंत्री के पारिवारिक सदस्यों और उनके करीबी सहयोगियों की फर्मों को सरकारी ठेके दिए जाना, मुख्यमंत्री की प्रत्यक्ष जानकारी, सहमति और सक्रिय समर्थन से सरकारी ठेकों में पक्षपात का सबूत है।

याचिकाकर्ता के अनुसार, खांडू की पत्नी के स्वामित्व वाली निर्माण कंपनी मेसर्स ब्रांड ईगल्स को स्पष्ट हितों के टकराव के बावजूद बड़ी संख्या में सरकारी ठेके दिए गए हैं। याचिकाकर्ता का कहना है कि जब पेमा खांडू के पिता स्वर्गीय दोरजी खांडू अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री थे, तब यह फर्म पेमा के नाम पर थी और बिना टेंडर प्रक्रिया के ही उन्हें ठेके दे दिए गए थे।

दोरजी खांडू की दूसरी पत्नी रिनचिन ड्रेमा और उनके भतीजे त्सेरिंग ताशी को प्रतिवादी बनाया गया है। ताशी तवांग जिले के विधायक हैं और मेसर्स अलायंस ट्रेडिंग कंपनी के मालिक हैं। याचिकाकर्ता के अनुसार, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम और मंत्रियों के लिए आचार संहिता का स्पष्ट उल्लंघन करते हुए मेसर्स एलायंस ट्रेडिंग कंपनी को कई ठेके दिए गए हैं।

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