टीएमसी नेता महुआ मोइत्रा समेत विपक्ष के कई सांसदों, नेताओं ने सोशल मीडिया पर दावा किया था कि उन्हें Apple की ओर से एक संदेश मिला है जिसमें उन्हें स्टेट स्पॉन्सर्ड हैकर्स के खतरे से चेताया गया है। हालांकि अब Apple ने आधिकारिक बयान के जरिए कहा है कि राज्य प्रायोजित खतरे को लेकर हम किसी तरह की जानकारी साझा नहीं करते हैं।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 30 अक्तूबर रात 11:45 पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव, शिव सेना (यूबीटी) की प्रियंका चतुर्वेदी, आप के राघव चड्ढा, सीपीआई (एम) के महासचिव और पूर्व सांसद सीताराम येचुरी, एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी, कांग्रेस नेता और प्रवक्ता पवन खेड़ा, कांग्रेस नेता शशि थरूर आदि को Apple से यह सूचना मिलने का दावा किया गया था। इस मामले ने काफी तूल पकड़ लिया है, राहुल गांधी ने एक प्रेस कांफ्रेस कर सरकार की मंशा पर कई सवाल भी खड़े किए हैं।  भाजपा की ओर से निशिकांत दुबे ने विपक्षी नेताओं के आरोप पर कहा कि राहुल गांधी की तरह आरोप लगाकर विपक्षी नेता भाग रहे हैं। भाजपा आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने कहा कि Apple के स्पष्टीकरण का इंतेजार करने की बात कही थी।

ऐप्पल के बयान में क्या है?

विपक्षी दलों के नेताओं ने सोशल मीडिया के जरिए ये दावा किया कि उन्हें Apple की ओर से एक संदेश मिला जिसमें स्टेट स्पोन्सेर्ड हैकर्स के खतरे से चेताया गया था। यह मामला इतना बड़ा की तमाम सियासी दलों की ओर से प्रतिक्रिया सामने आने लगी। अब इस मामले में Apple का बयान भी सामने आया है। जिसमें लिखा है,”एप्पल खतरे की सूचनाओं या राज्य-प्रायोजित हमले की जानकारी नहीं देता है। यह संभव है कि कुछ ऐप्पल खतरे की सूचनाएं गलत अलार्म हो सकती हैं, हम इस बारे में जानकारी देने में असमर्थ हैं।”

गंभीर है ये चेतावनी?

न्यूज़ वेबसाइट द वायर से बात करते हुए इंटरनेट फ्रीडम फाउंडेशन (आईएफएफ) के संस्थापक निदेशक अपार गुप्ता कहते हैं कि Apple से खतरे की सूचनाओं की रिपोर्ट को बहुत गंभीरता से लेने की जरूरत है। आईएफएफ के नीति निदेशक प्रतीक वाघरे ने द वायर को बताया कि भारतीयों – विशेषकर पत्रकारों, सांसदों और संवैधानिक पदाधिकारियों को भी कथित तौर पर पहले पेगासस से निशाना बनाया गया था, यह हमारे लोकतंत्र के लिए गहरी चिंता का विषय है।