Supreme Court: नीतीश कटारा हत्याकांड के दोषी सुखदेव सिंह को कोर्ट में हलफनामा देने के बावजूद सजा में छूट देने पर फैसला लेने में विफल रहने पर दिल्ली सरकार के गृह विभाग के प्रधान सचिव को अवमानना ​​नोटिस जारी किया है। लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि उनके खिलाफ कोर्ट की अवमानना ​​अधिनियम, 1971 के तहत कार्रवाई क्यों न की जाए।

सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, ‘राज्य सरकार के निर्देशों पर एक गंभीर बयान आदेश में दर्ज किया गया था। अब हमें जानकारी दी गई कि एसआरबी को आज याचिकाकर्ता के मामले पर विचार करना है। इसलिए हम दिल्ली सरकार के गृह विभाग के प्रधान सचिव को नोटिस जारी करते हैं और उनसे कारण बताने को कहते हैं कि उनके खिलाफ कोर्ट की अवमानना ​​अधिनियम, 1971 के तहत कार्रवाई क्यों न की जाए। हम सचिव को वीसी के माध्यम से मौजूद रहने का निर्देश देते हैं।’

लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, इस मामले की सुनवाई जस्टिस अभय ओका और उज्ज्वल भुइयां की बेंच कर रही थी। उन्होंने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि टाइम को बढ़ाए बिना यह सरकार कभी भी छूट के संबंध में इस कोर्ट के आदेशों का पालन नहीं करेगी। हम इसे हर मामले में देख रहे हैं। पहले एक बहाना था कि मुख्यमंत्री मौजूद नहीं हैं। कोर्ट ने कहा कि दिल्ली सरकार ने पहले ही दो हफ्ते के अंदर मामले पर फैसला लेने का आश्वासन दिया था, लेकिन एसआरबी ने अभी तक याचिका पर विचार नहीं किया है।

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हम आपको अवमानना नोटिस जारी करेंगे- जस्टिस ओका

दिल्ली के वकील ने कहा कि एसआरबी की आखिरी मीटिंग आज होने वाली है। जस्टिस ओका ने कहा कि इसके बाद यह मुख्यमंत्री के पास जाएगा, फिर राज्यपाल के पास। हमें बताएं कि इस विभाग का प्रभारी कौन है। हम अवमानना ​​नोटिस जारी करेंगे। जस्टिस ओका ने बार-बार देरी के लिए कड़ी आलोचना की और कहा, ‘क्या दिल्ली सरकार के साथ ऐसा कोई नियम है कि जब भी सुप्रीम कोर्ट किसी मामले पर फैसला सुनाने के लिए आदेश पारित करता है, तो उस पर समय के अंदर फैसला नहीं किया जाएगा? हम आपको अवमानना ​​का नोटिस जारी करेंगे। जब तक अवमानना ​​का खतरा नहीं होगा, आप कभी भी किसी मामले पर फैसला नहीं करेंगे।’

दिल्ली सरकार के वकील ने दिया भरोसा

दिल्ली सरकार के वकील ने कोर्ट को भरोसा देते हुए कहा कि मामले पर विचार किया जा रहा है। हालांकि, जस्टिस ओका ने कहा कि यह आपका अपना बयान है। हमने आपको यह बयान देने के लिए कभी मजबूर नहीं किया। हमारा मानना ​​है कि जब तक अवमानना ​​नोटिस जारी नहीं किया जाता, तब तक हमारे आदेशों का पालन नहीं किया जाता। महिला जजों को हटाने पर HC पर भड़का सुप्रीम कोर्ट