Supreme Court To Allahabad High Court: सुप्रीम कोर्ट ने इलाहााबाद हाई कोर्ट में करीब चार साल से लंबित याचिका पर हैरानी जताई। शीर्ष अदालत ने हाल ही में हत्या के एक मामले में आरोपी की जमानत याचिका पर फैसला लेने में इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा देरी पर आश्चर्य व्यक्त किया।

जस्टिस जे.बी. पारदीवाला और जस्टिस आर. महादेवन की खंडपीठ ने इस तथ्य पर गौर किया कि जमानत याचिका पिछले चार वर्षों से इलाहाबाद खंडपीठ के समक्ष लंबित है। कोर्ट ने कहा कि हम याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील से यह जानकर स्तब्ध हैं कि याचिकाकर्ता द्वारा इलाहाबाद हाई कोर्ट में आपराधिक विविध जमानत आवेदन संख्या 40542/2020 के तहत दायर जमानत याचिका आज भी लंबित है।

बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, आरोपी इमरान ने अपने वकील मोहम्मद अनस चौधरी के माध्यम से 6 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वह लगभग छह साल से हिरासत में है और इसके बावजूद, उसकी जमानत याचिका पर हाई कोर्ट ने 16 बार सुनवाई स्थगित कर दी।

वकील चौधरी ने यह भी दलील दी कि मामले में सह-आरोपियों को पहले ही जमानत मिल चुकी है। इसलिए उन्होंने मामले में इमरान के लिए अंतरिम जमानत मांगी। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने प्रार्थना पर विचार नहीं किया, क्योंकि उसने पाया कि अभियोजन पक्ष पहले ही मुकदमे में साक्ष्य प्रस्तुत कर चुका है।

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कोर्ट ने कहा कि शायद अब जो बचा है वह सीआरपीसी की धारा 313 के तहत याचिकाकर्ता-आरोपी का आगे का बयान दर्ज करना और अंतिम बहस करना है। यह देखते हुए कि मुकदमा लगभग पूरा होने वाला है, सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट से स्पष्टीकरण मांगने से भी परहेज किया।

हालांकि, इसने मामले को इलाहाबाद हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के समक्ष प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। आदेश में कहा गया कि रजिस्ट्री इस आदेश को हाई कोर्ट को भेजेगी तथा अनुरोध करेगी कि इसे इलाहाबाद हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के समक्ष रखा जाए।

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