नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली के बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे किसानों को 6 महीने से ज्यादा हो गए हैं। उसके बाद भी कानून को लेकर किसी तरह का हल नहीं निकल सका है। वहीं किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि नए कृषि कानून 2022 में नहीं तो 2024 में वापस ले ही लेगी।
राकेश टिकैत ने 2024 का जिक्र काफी सोच समझकर किया है। उसी साल लोक सभा चुनाव भी होने वाले हैं। किसान आंदोलन का असर 2024 में साफ देखने को मिल सकता है। वहीं अगले साल 2022 में यूपी विधानसभा चुनाव होगा। जिसे लोकसभा चुनाव के बाद देश का बसे बड़ा और महत्वपूर्ण चुनाव माना जाता है। ऐसे में राकेश टिकैत अभी से ही 2022 और 2024 के चुनावों का जिक्र करते हुए इशारा करते हुए सरकार को समझाने का प्रयास कर रहे हैं कि अगर कृषि कानूनों को वापस नहीं लिया तो चुनाव में उन्हें और उनकी पार्टी को नुकसान उठाना पड़ सकता है।
एक न्यूज चैनल के सवाल कि सरकार कह रही है कि वो गन्ना किसानों का बकाया वापस कर रही है, तो इस राकेश टिकैत ने कहा कि पश्चिम उत्तर प्रदेश के गन्ना किसानों का बकाया 23 हजार करोड़ रुपए पहुंच चुका हैै। आखिर सरकार कौन से किसानों का बकाया वापस कर रही है, समझ से परे हैं। सरकार किसानों को सिर्फ हवा में बकाया वापस कर रही है। अगर वास्तव में बकाया वापस होता तो 23 हजार करोड़ रुपए किसानों का बकाया नहीं हो जाता।
भारतीय किसान यूनियन के प्रमुख राकेश टिकैत ने कहा कि देश की जनता 2024 तक केंद्र सरकार को जवाब दे देगी। हमें पूरा विश्वास है कि 2022 नहीं तो 2024 तक कृषि कानूनों को वापस ले लेगी।उन्होंने कहा कि जिस के हालात पैदा हो रहे हैं उससे यही लग रहा है कि रोटियां अमीरों की तिजौरियों में बंद होगी और अनाज दोगामों में बंद होगा, जिन पर व्यापारियों का ताला होगा। राकेश टिकैत यही नहीं रुके। उन्होंने कहा कि जिस तरह से कटीले तार और बैरिकेड दिल्ली के बॉर्डर पर हैं। वैसे ही कटीले तार गोदामों के बाहर देखने को मिलेंगे। देश में लोग एक-एक रोटी के लिए तरसेंगे।
इस बार राकेश टिकैत ने कहा कि अभी तो सिर्फ 6 महीने आंदोलन को हुए हैं, आंदोलन दो साल, तीन और उससे ज्यादा भी चल सकता है। देश का किसान एकजुट है। किसी में कोई फूट नहीं है। ना ही आंदोलन हल्का हुआ है। उन्होंने कहा कि कोरोना के हल्का होते इसमें तेजी आ जाएगी। फर्जी किसानों के तमगा देने के सवाल पर उन्होंने कहा कि अगर हम फर्जी किसान है तो असली किसान कहां है? अगर सरकार असली किसानों को जानती है तो उन्हें सामने लेकर आए। वास्तव में जो किसान अपने हक के लिए आवाज उठा रहे हैं उन्हें सरकार फर्जी घोषित करने में जुटी हुई है।
वहीं आज राकेश टिकैत हरियाणा के जिंद में पहुंचे। उझाना गांव में धुनी लगाकर तप कर रहे किसान रामभज से मुलाकात की। वहां पर किसानों को संबोधित करते हुए राकेश टिकैत ने कहा कि केंद्र सरकार पूरे किसान आंदोलन को हरियाणा में शिफ्ट करना चाहती है। जिसे बिल्कुल भी होने नहीं दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि किसान दिल्ली क बॉर्डर पर डटे रहेंगे और वहां से बिल्कुल भी नहीं हिलेंगे।