देश के 91 बड़े जलाशयों में उपलब्ध जल की मात्रा 96.721 बीसीएम है, जो इन जलाशयों की कुल भंडारण क्षमता का 61 प्रतिशत है। बीते साल समान अवधि में यह 109 प्रतिशत और बीते दस साल की समान अवधि में औसतन 101 प्रतिशत थी। जल संसाधन मंत्रालय ने 18 अगस्त 2016 तक देश के 91 बड़े जलाशयों के आंकड़ों के आधार पर यह जानकारी दी है। इन 91 जलाशयों की कुल भंडारण क्षमता लगभग 157.799 बीसीएम है और इनमें से 37 जलाशयों से 60 मेगावाट से ज्यादा स्थापित क्षमता की पनबिजली का लाभ भी प्राप्त होता है। उत्तरी क्षेत्र में हिमाचल प्रदेश, पंजाब और राजस्थान में केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) के पर्यवेक्षण के अंतर्गत आने वाले 6 जलाशयों की कुल भंडारण क्षमता 18.01 बीसीएम है। इन जलाशयों में फिलहाल 12.41 बीसीएम जल का भंडार है, जो इन जलाशयों की कुल क्षमता की तुलना में महज 69 प्रतिशत ही है। इन जलाशयों में बीते साल की समान अवधि में भंडारण 90 प्रतिशत और बीते 10 साल के दौरान औसत भंडारण 69 प्रतिशत था। इस प्रकार इस साल बीते साल की समान अवधि की तुलना में भंडारण कम है जो बीते 10 साल के दौरान समान अवधि में औसत भंडारण की तुलना में समान है।
मंत्रालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार, पूर्वी क्षेत्र के तहत झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल और त्रिपुरा में सीडब्ल्यूसी के पर्यवेक्षण के अधीन आने वाले कुल 15 जलाशयों की भंडारण क्षमता 18.83 बीसीएम है। इनमें वर्तमान में कुल जल का भंडारण 10.44 बीसीएम है, जो इन जलाशयों की कुल क्षमता का लगभग 55 प्रतिशत ही है। बीते साल समान अवधि में भंडारण 47 प्रतिशत थी और बीते 10 साल की समान अवधि में औसतन 51 प्रतिशत रही थी। इस प्रकार वर्तमान वर्ष में बीते साल की तुलना में भंडारण कम रहा है, और यह बीते 10 साल की समान अवधि में हुए औसत भंडारण से बेहतर है। पश्चिमी क्षेत्र के तहत गुजरात और महाराष्ट्र में सीडब्ल्यूसी के पर्यवेक्षण में आने वाले 27 जलाशयों की कुल भंडारण क्षमता 27.07 बीसीएम है। इन जलाशयों में इस समय कुल भंडारण लगभग 19.72 बीसीएम है, जो इन जलाशयों की कुल क्षमता की तुलना में 71 प्रतिशत ही है।
पश्चिमी क्षेत्र में बीते साल समान अवधि में इन जलाशयों में कुल भंडारण 55 प्रतिशत था और बीते 10 साल के दौरान समान अवधि में औसतन 64 प्रतिशत रहा था। इस प्रकार वर्तमान वर्ष में भंडारण पिछले साल की तुलना में बेहतर है और यह बीते 10 साल के औसत की तुलना में भी काफी बेहतर है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, मध्य क्षेत्र के तहत उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में सीडब्ल्यूसी के पर्यवेक्षण में आने वाले 12 जलाशयों की कुल क्षमता 42.30 बीसीएम है। वर्तमान वर्ष में इन जलाशयों में कुल भंडारण 31.91 बीसीएम है, जो कुल क्षमता का 75 प्रतिशत ही है। इन जलाशयों में बीते साल समान अवधि में भंडारण 73 प्रतिशत और बीते 10 साल में समान अवधि के दौरान औसतन 56 प्रतिशत रहा था। इस प्रकार वर्तमान वर्ष में भंडारण बीते साल की समान अवधि की तुलना में अधिक रहा है और पिछले 10 साल की समान अवधि के औसत की तुलना में भी यह बेहतर है।
दक्षिणी क्षेत्र में आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, आंध्रप्रदेश और तेलंगाना (दोनों राज्यों की सम्मिलित परियोजना), कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु आते हैं। यहां सीडब्ल्यूसी के पर्यवेक्षण में आने वाले 31 जलाशयों की कुल भंडारण क्षमता 51.59 बीसीएम है। इन जलाशयों में फिलहाल कुल 22.69 बीसीएम जल का भंडार है, जो कुल इन जलाशयों की कुल क्षमता का 44 प्रतिशत ही है। पिछले साल की समान अवधि में इन जलाशयों में भंडारण 35 प्रतिशत और पिछले 10 साल में समान अवधि में औसतन 64 प्रतिशत रहा था। इस प्रकार वर्तमान वर्ष में भंडारण बीते साल और बीते 10 साल के औसत की तुलना में भी बेहतर रहा है। पिछले साल की तुलना में इस साल ज्यादा भंडारण वाले राज्यों में झरखंड, ओडिशा, गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, आंध्रप्रदेश , तेलंगाना (दोनों राज्यों की संयुक्त परियोजना) और कर्नाटक शामिल हैं। वहीं पिछले साल की तुलना में समान भंडारण वाले राज्यों में राजस्थान, मध्य प्रदेश हैं। पिछले वर्ष की तुलना में कम भंडारण वाले राज्यों में हिमाचल प्रदेश, पंजाब, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा, उत्तराखंड, छत्तीसगढ़, केरल और तमिलनाडु शामिल हैं।