हिंद महासागर और साउथ चाइना सी में चीन के बढ़ते दबदबे की काट निकालने के लिए भारत ने अमेरिका के साथ हाथ मिला लिया। भारत और अमेरिका हिंद महासागर में पनडुब्बियों को ट्रैक करने में मदद के लिए बातचीत कर रहे हैं। सैन्य अधिकारियों के मुताबिक, समंदर ड्रैगन की बढ़ती गतिविधियों के बाद यह कदम भारत और अमेरिका के रक्षा संबंधों को और सुदृढ़ बनाने में मददगार हो सकता है।
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भारतीय नौसेना के अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि चीन की पनडुब्बी हर तीन महीने में औसतन चार बार हिंद महासागर में देखी जाती हैं। चीन पनडुब्बियां भारत के अंडबार-निकोबार द्वीप समूह के करीब सबसे ज्यादा देखी जाती हैं। कई बार भारतीय रक्षा विशेषज्ञ इस इलाके में चीन की बढ़ती घुसपैठ के प्रति सरकार को आगाह कर चुके हैं। अंडमान निकोबार क्षेत्र मलक्का स्ट्रेट के बेहद करीब है। यही वो जलक्षेत्र है, जहां से होकर साउथ चाइना के लिए रास्ता जाता है। चीन के 80 प्रतिशत ईंधन की सप्लाई की इसी रास्ते से होती है।
खबर है कि पिछले महीने हुई बातचीत के दौरान भारत ने अमेरिका के लिए अपने सैन्य ठिकानों को खोलने का इजाजत दे दी। इसके बदले में भारत ने अमेरिका से हथियार बनाने के लिए आधुनिक टेक्नोलॉजी मांगी है, जिससे कि वह चीन और उसके बीच लंबे समय से चले आ रहे गैप को कम कर सके। भारत और अमेरिका ने कुछ दिनों पहले ही संयुक्त नौसैनिक अभ्यास में हिस्सा लिया था। इस दौरान दोनों देशों की सेना ने P-8 एयरक्राफ्ट के नए वर्जन का इस्तेमाल किया था। P-8 एयरक्राफ्ट में बेहद आधुनिक सेंसर लगे हैं। यह पनडुब्बियों को निशाना बनाने के लिए बेहद शानदार हथियार है।
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