चीन ही नहीं, समंदर में पाकिस्तान भी पेश कर रहा कड़ी चुनौती, जानिए अब क्या करेगा भारत?
चीन की नौसैनिक क्षमता के बारे में तो पूरे विश्व को जानकारी है, लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी कि पाकिस्तान भी भारत से ज्यादा पीछे नहीं है। उसने भी हाल ही में ही बीजिंग को 8 एडवांस डीजल इलेक्ट्रिक सबमरीन का ऑर्डर दिया है।

हिंद महासागर में चीन और पाकिस्तान को सीधी टक्कर देने के लिए भारत कमर कस रहा है। इसके लिए फ्रांस से तीन और स्कॉर्पीन खरीदेगा। भारत की छह सबमरीन मझगांव डॉक पर खड़ी हैं और छह न्यू जनरेशन स्टील्थ सबमरीन के अगले साल तक टेंडर जारी किए जाएंगे। चीन और पाकिस्तान मिलकर भारत को हिंद महासागर में घेरने की तैयारी कर रहे हैं, जिसकी वजह से ये कदम उठाए जा रहे हैं। चीन की नौसैनिक क्षमता के बारे में तो पूरे विश्व को जानकारी है, लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी कि पाकिस्तान भी भारत से ज्यादा पीछे नहीं है। उसने भी हाल ही में ही बीजिंग को 8 एडवांस डीजल इलेक्ट्रिक सबमरीन का ऑर्डर दिया है।
क्या है भारत का लक्ष्य?: इन सबमरीन को खरीदने के पीछे भारत का मकसद अंडमान और निकोबार के पास मलक्का स्ट्रेट में सामरिक हितों को सुरक्षित करना है। चीन इस क्षेत्र में दखल बढ़ाने की हरसंभव कोशिश कर रहा है। पिछले कुछ समय से हिंद महासागर में चीन की न्यूक्लियर सबमरीन की मौजूदगी से भारतीय नौसेना काफी चिंतित है। इसी वजह से अंडमान और निकोबार में भारत भी परमाणु पनडुब्बी तैनात करना चाहता है। जानकार मानते हैं कि भारत को मलक्का स्ट्रेट के पास समुद्री लेन, चेक प्वाइंट्स की सुरक्षा और निगरानी दोनों पर बल देना होगा। गौरतलब है कि मलक्का स्ट्रेट इंडोनेशिया और मलेशिया के बीच का हिस्सा है। यह हिंद महासागर और प्रशांत को जोड़ता है।
क्या कहते हैं आंकड़े? : भारत के पास फिलहाल 13 पारंपरिक डीजल इलेक्ट्रिक सबमरीन हैं। इनमें से भी 10 सबमरीन 25 साल से ज्यादा पुरानी है। आईएनएस चक्र रूस से लीज पर लिया गया है। यह भी परमाणु क्षमता से लैस नहीं है। दूसरी ओर चीन के पास 51 सामान्य और 5 न्यूक्लियर सबमरीन हैं। इसके अलावा चीन 5 और नए जेआईएन क्लास की न्यूक्लियर सबमरीन अपने बेड़े में शामिल करने जा रहा है। इन पर 7400 किलोमीटर तक मार करने वाली जेएल-2 मिसाइल भी तैनात हैं।
क्या है भारत की तैयारी?: मझगांव डॉकयार्ड में तैयार पहली स्वदेशी स्कॉर्पीन सबमरीन को अप्रैल में पानी में उतारा गया था। अब इस सबमरीन का डेढ़ साल तक समुद्र में ट्रॉयल होगा। इसके बाद सितंबर 2016 में इसे नौसेना को सौंप दिया जाएगा। इसके अलावा 6 सबमरीन फ्रांस के साथ तकनीकी समझौते के तहत बनाई जा रही हैं। इन्हें 2018 तक तैयार कर लिया जाएगा।
स्कॉर्पीन की ताकत : जहां तक स्कॉर्पीन की बात है तो यह एंटी सबमरीन, बारूदी सुरंग बिछाने, खुफिया जानकारी जुटाने, निगरानी के साथ कई मिशन अंजाम दे सकती है। इसकी लंबाई 216 फीट लंबाई और चौड़ाई 20 फीट है।
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