लोकसभा में बुधवार को वक्फ संशोधन बिल पेश किया जाएगा। वक्फ संशोधन बिल पर चर्चा के दौरान हंगामा होेने की उम्मीद है। इसे देखते हुए बीजेपी, टीडीपी, जदयू, शिवसेना, लोजपा (रामविलास), और कांग्रेस पार्टी ने अपने-अपने लोकसभा सांसदों को तीन लाइन का व्हिप जारी कर उपस्थित रहने के निर्देश दिए हैं।
बुधवार को पेश होने वाले वक्फ बिल को लेकर मंगलवार शाम तक एनडीए और इंडिया गठबंधन – दोनों ही संगठनों में बैठकों का दौर चला। इंडिया गठबंधन की मीटिंग के बाद कांग्रेस पार्टी के जनरल सेक्रेटरी केसी वेणुगोपाल ने बताया कि जब यह बिल पर चर्चा प्रारंभ में चर्चा शुरू हुई थी, तभी से इंडिया गठबंधन और समान विचारों वाली पार्टी का इसपर क्लियर स्टैंड है।
उन्होंने कहा कि यह बिल टारगेट करने वाला है और मूल रूप से संवैधानिक प्रावधानों के विरुद्ध है। हम इस बिल का विरोध करने जा रहे हैं। इंडिया गठबंधन ने यह सर्वसम्मति से तय किया है। हम अन्य समान विचारधारा वाले दलों से भी इस बिले के खिलाफ मतदान करने का अनुरोध करते हैं।
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शिवसेना यूबीटी भी वक्फ संशोधन बिल के विरोध में
शिवसेना (यूबीटी) सांसद अरविंद सावंत ने कहा कि इस बिल के लिए जेपीसी का गठन किया गया था, विपक्ष तब भी एकजुट था और अब भी एकजुट है। बिल के प्रावधान देश को बांटने वाले हैं। उन्हें बिल पेश करने दीजिए। हम देखेंगे कि उन्होंने हमारे सुझावों को शामिल किया है या नहीं। हम कल चर्चा करेंगे। डीएमके की सांसद कनिमोझी ने कहा, “बीजेपी विभाजनकारी राजनीति करती है, इसलिए हम जानते हैं कि वे किसके खिलाफ हैं। हमने यह स्पष्ट कर दिया है कि हम संशोधन विधेयक का विरोध कर रहे हैं।”
राजद के नेता मनोज झा ने कहा कि इस पर चर्चा होगी कि यह कैसे असंवैधानिक है, कैसे अल्पसंख्यकों को एक-एक करके अलग करके उन पर हमला करने की रणनीति बनाई जा रही है। इनके 90% बिलों में संविधान का उल्लंघन किया गया है। हमने कृषि कानूनों के समय कहा था कि इसे पास मत करो, आपको इसे वापस लेना पड़ सकता है। सपा के राम गोपाल यादव ने कहा कि हम कल एकजुट होकर चर्चा में भाग लेंगे। हम विपक्ष की ओर से आने वाले संशोधनों का समर्थन करेंगे और मत विभाजन तथा मतदान का आह्वान करेंगे।
आठ घंटे तक होगी चर्चा
मंगलवार दोपहर केंद्रीय अल्पसंख्यक और संसदीय कार्य मंत्री किरेन रीजीजू ने कहा कि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला की अध्यक्षता में सदन की कार्य मंत्रणा समिति (बीएसी) की बैठक में इस विधेयक पर आठ घंटे की चर्चा के लिए सहमति बनी जिसे सदन की भावना के अनुरूप और बढ़ाया जा सकता है। बैठक में विधेयक को लेकर सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच तीखी तकरार के प्रारंभिक संकेत तब दिखाई दिए जब विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के सदस्यों ने बैठक से वॉकआउट किया और सरकार पर उनकी आवाज दबाने का आरोप लगाया।
हालांकि इस मुद्दे पर गतिरोध से कोई खास फर्क नहीं पड़ता दिख रहा क्योंकि लोकसभा में सत्तारूढ़ NDA के पक्ष में संख्याबल है। लोकसभा में कांग्रेस के उप नेता गौरव गोगोई ने आरोप लगाया कि उनकी आवाज को सुना नहीं जा रहा। उन्होंने कहा कि विपक्षी दल चर्चा के लिए और अधिक समय आवंटित करने की मांग कर रहे थे और चाहते थे कि सदन में मणिपुर की स्थिति और मतदाता पहचान पत्र से जुड़े विवाद जैसे मुद्दों पर भी चर्चा हो।
रीजीजू ने कहा कि कई दल चार से छह घंटे की चर्चा चाहते थे, वहीं विपक्षी दलों के सदस्य 12 घंटे की चर्चा कराने पर अड़े रहे। उन्होंने कहा कि सदन की भावना के अनुरूप इस अवधि को बढ़ाया जा सकता है। विधेयक के मुखर विरोधी AIMIM सदस्य असदुद्दीन ओवैसी ने संवाददाताओं से कहा कि वह सदन में इस विधेयक पर चर्चा के दौरान बताएंगे कि यह किस तरह ‘असंवैधानिक’ है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह विधेयक मुसलमानों के धार्मिक अधिकारों पर नियंत्रण के मकसद से लाया गया है और जनता तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा) और जनता दल (यू) जैसे भाजपा के सहयोगी दलों को सबक सिखाएगी।
लोकसभा में NDA के कितने सदस्य?
लोकसभा में 542 सदस्यों में NDA के 293 सांसद हैं और बीजेपी कई मौकों पर कुछ निर्दलीय सदस्यों का समर्थन हासिल करने में सफल रही है। टीडीपी, जदयू और चिराग पासवान नीत लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) जैसे भाजपा के बड़े सहयोगी दलों ने शुरू में विधेयक के कुछ पहलुओं पर आपत्ति जताई, लेकिन संसद की संयुक्त समिति द्वारा उनके कुछ सुझावों को अपनाये जाने के बाद वे विधेयक का समर्थन कर सकते हैं। लोकसभा में मंजूरी मिलने के बाद विधेयक को उच्च सदन में लाया जा सकता है। वहां भी संख्या बल NDA के पक्ष में है।
कैथलिक बिशप्स कॉन्फ्रेंस ऑफ इंडिया, चर्च ऑफ भारत ने मंगलवार को विधेयक के प्रति समर्थन प्रकट किया जिससे प्रस्तावित कानून को उसके कथित व्यापक अल्पसंख्यक विरोधी एजेंडा का हिस्सा दर्शाने की विपक्ष की कोशिश को धता बताने के सरकार के प्रयासों को बल मिलता हुआ दिखा।
दिल्ली पुलिस ने सुरक्षा बढ़ाई
वक्फ संशोधन विधेयक को चर्चा और उसे पारित कराने के लिए लोकसभा में बुधवार को पेश किए जाने से पहले दिल्ली पुलिस ने कई संवेदनशील इलाकों में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि असामाजिक तत्व कानून-व्यवस्था की स्थिति बिगाड़ न पाएं। पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न उजागर करने की शर्त पर बताया, “कई संवेदनशील क्षेत्रों में कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए हमने रात्रि गश्त बढ़ा दी है और अतिरिक्त तैनाती की व्यवस्था की जाएगी।”