संसद का शीतकालीन सत्र सोमवार से शुरू हो रहा है। विपक्ष ने सत्र के शुरू होने से पहले कई मुद्दों पर सरकार को घेरने और सवाल उठाने की तैयारी कर ली है। इस सत्र में उद्योगपति गौतम अडानी पर अमेरिका द्वारा लगाए गए अभियोग से लेकर मणिपुर में अशांति जैसे मुद्दों को लेकर हंगामा देखने को मिल सकता है। शीतकालीन सत्र के शुरू होने से पहले सरकार और विपक्ष के नेताओं ने सत्र पर विचार-विमर्श करने के लिए रविवार को बैठक की है। पिछले सत्र की तुलना में दोनों खेमों के मूड में स्पष्ट बदलाव देखा गया।
लोकसभा चुनावों में खराब प्रदर्शन के बाद निराश दिख रही भाजपा महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ महायुति की शानदार जीत के बाद खुश नज़र आ रही है। झारखंड ने कांग्रेस और उसके इंडिया ब्लॉक सहयोगियों को थोड़ी राहत दी है लेकिन महाराष्ट्र की हार इंडिया गठबंधन के लिए बड़ी हार है। विपक्षी दलों के नेता सत्र के लिए रणनीति बनाने के लिए सोमवार सुबह बैठक करेंगे।
शीतकालीन सत्र : किन मुद्दों पर होगी चर्चा
कांग्रेस के सूत्रों ने कहा कि विपक्ष अडानी मामले और मणिपुर अशांति पर चर्चा चाहेगा। दूसरी ओर सरकार वक्फ (संशोधन) विधेयक को पारित कराने के लिए कदम बढ़ा सकती है, जो संसद की संयुक्त समिति के विचाराधीन है। संयुक्त समिति के अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने कहा है कि पैनल की रिपोर्ट तैयार है, लेकिन विपक्षी सदस्य अधिक समय मांग रहे हैं और समिति के कार्यकाल को बढ़ाने के लिए सोमवार को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से मिलने की योजना बना रहे हैं। समिति का गठन करते समय संसद ने समिति को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए शीतकालीन सत्र के पहले सप्ताह के अंतिम दिन तक का समय दिया था। सरकार ने पहले ही वक्फ (संशोधन) विधेयक को शीतकालीन सत्र में विचार और पारित करने के लिए सूचीबद्ध कर दिया है।
अडानी के मुद्दे पर होगी चर्चा?
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में हुई बैठक के बाद जिसमें केंद्रीय मंत्री और राज्यसभा में सदन के नेता जे पी नड्डा, संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू और संसदीय कार्य राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल शामिल हुए, सरकार की ओर से कहा गया कि उसने सभी दलों से संसद का सुचारू संचालन सुनिश्चित करने की अपील की है।
अडानी मुद्दे को उठाने की विपक्ष की मांग पर संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा कि दोनों सदनों की व्यापार सलाहकार समितियां लोकसभा अध्यक्ष और राज्यसभा के सभापति की सहमति से संसद में चर्चा किए जाने वाले मामलों पर निर्णय लेंगी।