व्यापमं मामले में सीबीआइ जांच की मांगों को खारिज करते रहने के बाद मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस मामले में केंद्रीय जांच एजंसी से जांच कराने की मंजूरी मांगने का फैसला किया। मंगलवार को एक संवाददाता सम्मेलन में चौहान की ओर से इस बारे में घोषणा किए जाने के बाद राज्य सरकार ने मध्यप्रदेश हाई कोर्ट से प्रवेश और भर्ती से जुड़े इस बड़े घोटाले की सीबीआइ जांच के लिए निर्देश देने का आग्रह किया।

अतिरिक्त महाधिवक्ता पी कौरव ने कहा, ‘हमने व्यापमं घोटाले की सीबीआइ जांच कराने के लिए हाई कोर्ट में अर्जी दाखिल की है।’ पिछले कुछ दिनों में व्यापमं से जुड़े लोगों की एक के बाद एक मौत के मामलों पर विपक्ष के तीखे हमले और जनता के आक्रोश से घिरे चौहान ने हाई कोर्ट से सीबीआइ जांच की सिफारिश करने के फैसले का ऐलान किया।

चौहान पर चारों तरफ से सीबीआइ जांच के लिए दबाव बन रहा था। एक दिन पहले ही केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने अदालत से इस संबंध में निर्देश नहीं होने पर इसकी संभावना से इनकार किया था। कांग्रेस ने राज्य सरकार के रुख पर संतोष नहीं जताते हुए कहा कि महज सीबीआइ से जांच कराना पर्याप्त नहीं होगा और इस पर सुप्रीम कोर्ट की निगरानी भी रहनी चाहिए।

माकपा ने भी कांग्रेस की तरह विचार रखते हुए सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में सीबीआइ जांच की वकालत की। पार्टी ने व्यापमं घोटाले को भ्रष्टाचार और अपराध का सबसे खतरनाक मिश्रण बताया और घोटाले की जांच पूरी होने तक चौहान से पद छोड़ने की मांग की। माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा, ‘हम अब सुन रहे हैं कि मुख्यमंत्री ने कहा है कि वह किसी सीबीआइ जांच का विरोध नहीं कर रहे। अब हमारा कहना है कि वे विरोध करें या नहीं लेकिन इस मामले में सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में सीबीआइ जांच होनी चाहिए।’

मामले में रविवार को घोटाले की जांच कर रहे जबलपुर के एक मेडिकल कॉलेज के डीन अरुण शर्मा की ही दिल्ली में मौत के बाद शिवराज पर कांग्रेस समेत विपक्षी दलों की ओर से सीबीआइ जांच के लिए दबाव बनाया जा रहा था। शर्मा की मृत्यु से एक दिन पहले व्यापमं घोटाले को कवर कर रहे टीवी टुडे समूह के पत्रकार अक्षय सिंह की रहस्यमयी मौत हो गई थी। मृत्यु से कुछ मिनट पहले उन्होंने मामले की एक आरोपी के माता-पिता का इंटरव्यू लिया था। आरोपी महिला पहले ही मृत मिली थी।

पिछले एक सप्ताह में व्यापमं से जुड़े पांच लोग रहस्यमयी परिस्थितियों में मृत मिले जिनमें शर्मा और सिंह शामिल हैं। चौहान ने कहा कि इस मामले में घटनाक्रम निष्पक्ष उत्तर की मांग करता है। उन्होंने कहा, ‘मैंने रातभर मामले के बारे में सोचा। जो सवाल उठे हैं उनका जवाब मिलना जरूरी है। अब जरूरी हो गया है कि मामले की जांच सीबीआइ करे।’ मुख्यमंत्री ने एक प्रश्न के उत्तर में कहा कि एजंसी को सभी पहलुओं की जांच करनी चाहिए।

सीबीआइ द्वारा सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच की कांग्रेस की मांग के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘मैं तैयार हूं। कुछ मित्रों ने माननीय सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। हाई कोर्ट ने इस पर नजर रखी है। अब सुप्रीम कोर्ट भी यह काम कर ले, मैं तैयार हूं।’

उन्होंने आरोप लगाया कि चुनावों में लगातार हार के बाद दिग्विजय सिंह बेबुनियाद आरोप लगा रहे हैं। सीबीआइ जांच की चौहान की घोषणा से कई लोगों को हैरानी हुई क्योंकि सोमवार को ही केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा था कि राज्य सरकार घोटाले के मामले में सीबीआइ जांच का आदेश नहीं दे सकती।

उन्होंने झाबुआ में कहा था, ‘घोटाले में एसआइटी की जांच चल रही है और सरकार इस मुद्दे पर हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट को निर्देश नहीं दे सकती।’ उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट पहले ही सीबीआइ जांच की मांग वाली जनहित याचिकाओं को खारिज कर चुके हैं।

इस बीच मामले में मध्य प्रदेश पुलिस के विशेष कार्य बल द्वारा चल रही जांच की निगरानी कर रहे विशेष जांच दल का नेतृत्व कर रहे हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश चंद्रेश भूषण ने कहा कि व्यापमं मामले में मौत रहस्यमयी नहीं बल्कि असामान्य हैं।

उन्होंने एसआइटी पर प्रदेश की भाजपा सरकार का दबाव होने की धारणाओं को खारिज करते हुए कहा, ‘हम दबाव में काम नहीं करते।’ एक तरफ जहां विपक्ष ने घोटाले को लेकर चौहान पर निशाना साधा और इस मुद्दे पर मोदी की चुप्पी को लेकर सवाल उठाए, वहीं कानून मंत्री डी वी सदानंद गौड़ा ने मामले को ‘बेतुका मुद्दा’ करार देते हुए कहा कि इस पर प्रधानमंत्री को टिप्पणी करने की जरूरत नहीं है।

विधि मंत्री ने कहा, ‘देखिए, कुछ मुद्दे इतने सरल होते हैं, इसलिए बेतुके मुद्दों पर प्रधानमंत्री का जवाब देना जरूरी नहीं होता है। हमारे गृह मंत्री (राजनाथ सिंह), संबंधित विभागों के मंत्री और यहां तक कि हमारी पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह ने हर बात का जवाब दे दिया है। हर छोटे मुद्दों का जवाब प्रधानमंत्री दें, यह उचित नहीं है।’ हालांकि बाद में गौड़ा ने कहा कि उन्होंने ललित मोदी विवाद पर उक्त टिप्पणी की थी, न कि व्यापमं घोटाले पर।