Voter ID Aadhar Card Link: गृह मंत्रालय और चुनाव आयोग के बीच एक हफ्ते पहले मीटिंग हुई थी। इस मीटिंग में एक बड़ा फैसला लिया गया। इस मीटिंग में फैसला लिया गया कि आधार कार्ड और वोटर आईडी को एक साथ लिंक किया जाएगा। इस मीटिंग में चुनाव आयोग, गृह मंत्रालय, कानून मंत्रालय आईटी मंत्रालय और आधार के सीनियर अधिकारी शामिल हुए थे। बीते कुछ समय से वोटर लिस्ट में गड़बड़ी का भी मुद्दा उठाया जा रहा था। इस बीच चुनाव आयोग ने प्रपोजल दिया है कि अगर कोई व्यक्ति आधार नंबर देने से इनकार करता है तो उसे विस्तार से बताना होगा।

ERO के सामने होना होगा पेश

आधार नंबर शेयर करने से इनकार करने वाले मतदाता को यह जानकारी न देने का कारण बताने के लिए निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी (ERO) के सामने व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होना पड़ सकता है। इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार इस विवादास्पद प्रस्ताव का उद्देश्य स्पष्ट रूप से अदालत में चुनाव आयोग के इस रुख की पुष्टि करना है कि आधार का खुलासा स्वैच्छिक है।

ईआरओ (आमतौर पर एक सिविल सेवा/राजस्व अधिकारी होता है) को आर.पी. अधिनियम 1950 की धारा 13B के तहत विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों के लिए मतदाता सूची तैयार करने, अपडेट करने और संशोधित करने का अधिकार दिया जाता है। ईआरओ को चुनाव आयोग द्वारा राज्य सरकारों के परामर्श से नामित किया जाता है।

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इकठ्ठा किया जाएगा डेटा

वर्तमान में 2023 तक चुनाव आयोग द्वारा 66 करोड़ से अधिक मतदाताओं का आधार डेटा इकठ्ठा किया गया है, जिन्होंने स्वेच्छा से यह जानकारी दी थी। लेकिन इन 66 करोड़ मतदाताओं के दो डेटाबेस को लिंक नहीं किया गया है। यानि अब तक आधार का उपयोग डुप्लिकेट एंट्री को हटाने या मतदाता सूची को साफ करने में सक्षम बनाने के लिए नहीं किया गया है। कुल अनुमानित 98 करोड़ रजिस्टर्ड मतदाता हैं।

चुनाव आयोग के वरिष्ठ अधिकारियों और गृह मंत्रालय, विधि मंत्रालय, आईटी मंत्रालय और यूआईडीएआई के प्रतिनिधियों के बीच हुई एक उच्च स्तरीय बैठक में इस प्रस्ताव पर चर्चा हुई थी कि जो मतदाता अपनी 12 अंकों की पहचान संख्या उपलब्ध नहीं कराता है, उसे ईआरओ के समक्ष व्यक्तिगत रूप से स्पष्टीकरण देना होगा। इस प्रस्ताव को संशोधित फॉर्म 6B का हिस्सा बनाए जाने की संभावना है।

जो लोग चुनाव आयोग को अपनी मर्जी से आधार की जानकारी देंगे, उनके डेटाबेस को इसमें जोड़ा जाएगा। यह काम जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 23(4), 23(5) और 23(6) के अनुसार होगा। इस अधिनियम के अनुसार वोटरों द्वारा अपनी मर्जी से आधार नंबर जमा करने और आधार की जानकारी न देने पर किसी को भी वोटर लिस्ट में शामिल होने पर रोकने या हटाने से बचाने के बारे में बताया गया है।

फॉर्म 6B में किया जाएगा बदलाव

अब इस फैसले के बाद फॉर्म 6B में बदलाव किया जाएगा। दरअसल यह फॉर्म वोटरों से आधार नंबर लेने के लिए बनाया गया था, लेकिन अब फॉर्म में लिखा होगा कि आधार की जानकारी देना स्वैच्छिक है या नहीं। अभी तक 6B में आधार की जानकारी न देने का विकल्प नहीं था। अब फॉर्म 6B में या तो आपको आधार नंबर देना होता था या फिर घोषणा करनी होती थी कि मैं अपना आधार देने में असमर्थ हूं क्योंकि मेरे पास नंबर ही नहीं है। हालांकि अब अगर कोई वोटर आधार की जानकारी नहीं देने का फैसला करता है तो उसे इसका कारण भी बताना होगा।