Maulana village Vikram Nagar: मध्य प्रदेश की बीजेपी सरकार ने राज्य के उज्जैन जिले के तीन गांवों के नाम बदल दिए हैं। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने एक सार्वजनिक कार्यक्रम में इसका ऐलान किया। बता दें कि इससे पहले उत्तर प्रदेश में फैजाबाद, इलाहाबाद सहित कई जगहों के नाम बदले जा चुके हैं। देश में कई और जगहों से भी नाम बदलने की मांग सामने आती रही है।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने उज्जैन के बड़नगर में एक कार्यक्रम में लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि गजनीखेड़ी पंचायत को अब चामुंडा माता नगर के रूप में जाना जाएगा। उन्होंने कहा कि यह हमारे लिए सौभाग्य की बात है।

इसके बाद उन्होंने मौलाना गांव का नाम बदलने का ऐलान किया। डॉ. यादव ने कहा कि यह समझना बेहद मुश्किल है कि इस गांव का इस नाम से क्या संबंध है? उन्होंने कहा कि इस गांव के लोग बहुत मेहनतकश हैं और औद्योगिक विकास का सबसे अच्छा काम मौलाना गांव में होता है लेकिन जब इस गांव का नाम लिखा जाता है तो पेन अटकता है।

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डॉ. यादव ने कहा कि वह विक्रमादित्य की नगरी से आते हैं और इसलिए उन्होंने राय मशविरा करके यह तय किया है कि राजा विक्रमादित्य के नाम के आधार पर इसका नाम विक्रम नगर किया जाना चाहिए। इसलिए अब इस गांव को विक्रम नगर के नाम से पहचाना जाएगा। इसके अलावा उन्होंने जहांगीरपुरी का नाम जगदीशपुर करने का भी ऐलान किया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि गांवों और कस्बों के नाम जनभावनाओं को ध्यान में रखकर रखे जाएंगे। केंद्रीय मंत्री प्रल्हाद जोशी भी इस कार्यक्रम में शामिल थे। बता दें कि 2021 में मध्य प्रदेश में हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर रानी कमलापति स्टेशन कर दिया गया था।

यूपी में उठी और नाम बदले जाने की मांग

याद दिलाना होगा कि उत्तर प्रदेश में फर्रुखाबाद का नाम पांचाल नगर, सुल्तानपुर का नाम कुश भवनपुर, आगरा का नाम अग्रवन, मुजफ्फरनगर का नाम लक्ष्मी नगर, अलीगढ़ का नाम हरि गढ़, मैनपुरी का नाम मयन नगर, फिरोजाबाद का नाम चंद्र नगर रखे जाने को लेकर आवाज उठ चुकी है।

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दिल्ली में भी उठी थी नाम बदलने की मांग

दिल्ली बीजेपी की ओर से साल 2022 में राजधानी के 40 गांवों के नाम बदलने की मांग की गई थी। दिल्ली बीजेपी के तत्कालीन अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने इन गांवों के नाम बदलने की मांग को लेकर तत्कालीन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को पत्र लिखा था।

जिन गांवों के नाम बदले जाने की मांग की गई थी उनमें बेगमपुर, सैदुल्लाजाब, फतेहपुर बेरी, शेख सराय, नेब सराय, जफरपुर कलां, कादीपुर, नसीरपुर, हसनपुर, ग़ालिब पुर, ताजपुर खुर्द, नज़फगढ़ आदि शामिल हैं।

आदेश गुप्ता ने कहा था कि दिल्ली अब मुगलों की सराय नहीं है बल्कि यह देश की राजधानी है और इन गांवों के युवा गुलामी के इन प्रतीकों को अपने साथ नहीं ढोना चाहते।

दूसरी ओर, विपक्षी दलों का कहना है कि नाम बदलने का काम सिर्फ मुद्दों से भटकाने के लिए किया जा रहा है।