विकास दुबे बेशक पुलिस एनकाउंटर में मारा गया हो लेकिन उसकी करतूत संगी साथियों का पीछा नहीं छोड़ रही हैं। ऐसे ही एक मामले में मारे गए गैंगस्टर के कभी करीबी रहे जय कांत बाजपेयी को हाईकोर्ट ने बेल देने से इनकार कर दिया। उसके वकीलों ने तमाम दलीलें दीं कि जय कांत का उस वारदात से कोई लेना देना नहीं था जिसमें 8 पुलिस कर्मियों को विकास दुबे ने मौत के घाट उतारा था लेकिन हाईकोर्ट ने उनकी एक नहीं सुनी।

हाईकोर्ट ने जयकांत बाजपेयी के बेल एप्लीकेशन को खारिज करते हुए कहा कि वारदात से ऐन पहले जयकांत बाजपेयी ही व शख्स था जिसने विकास दुबे को एक मीटिंग में 2 लाख रुपये और 25 कारतूस मुहैया कराए थे। इन कारतूसों का इस्तेमाल पुलिस के जवानों की हत्या में किया गया। बात यहीं तक रहती तो कोई बात नहीं थी लेकिन वारदात के बाद विकास को फरार होने के लिए गाड़ी भी जयकांत ने ही मुहैया कराई थी। हाईकोर्ट का कहना था कि मरने से पहले खुद विकास दुबे ने पुलिस को ये सारी कहानी बताई थी। जो मर चुका है उसके स्टेटमेंट पर तो भरोसा करना ही होगा।

हाईकोर्ट ने विकास के मृत्यु पूर्व स्टेट को माना कानूनन सही

दरअसल कभी विकास के करीबी रहे जयकांत बाजपेयी ने उस मामले में जमानत देने की अपील की थी जो कानपुर पुलिस ने उसके खिलाफ विकास के मरने के बाद दर्ज किया था। पुलिस का कहना है कि विकास ने मरने से पहले खुद बताया था कि जय ने ही 2 जुलाई 2020 को उसके साथ एक मीटिंग करके पैसे और कारतूस मुहैया कराए थे। उसी रात विकास ने अपने घर पहुंची पुलिस टीम पर हमला बोला और 8 जवानों की हत्या कर दी। उस वारदात में 9 जवान गंभीर रूप से जख्मी भी हुए थे। उसके बाद विकास जय की मदद से कानपुर से फरार होकर दिल्ली पहुंच गया।

दिल्ली से वो फरीदाबाद गया और फिर उज्जैन के महाकाल मंदिर। वहीं मप्र पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया। उसके बाद उसे सड़क मार्ग से कानपुर लाया गया। कानपुर में घुसने के बाद अचानक पुलिस की गाड़ी पलटी और केस के मुताबिक विकास ने भागने की कोशिश की। पुलिस टीम ने उसे रुकने को कहा तो विकास ने फायर कर दिया। जवाबी कार्रवाई में विकास को पुलिस की उस टीम ने ढेर कर दिया जो उसे लेकर आ रही थी।

जयकांत के वकील बोले- पुलिस के सामने दिए बयान की अहमियत नहीं

हालांकि जयकांत के वकीलों ने हाईकोर्ट से कहा कि उनके मुवक्किल का विकास दुबे की वारदात से कोई लेनादेना नहीं था। वो केवल उसे जानता था। उसका कहना था कि जब विकास ने पुलिस कर्मियों को मारा तब वो एक पार्टी के साथ कानपुर के एक होटल में था। उनका कहना था कि जय की विकास से केवल पार्टियों में एक या दो बार की मुलाकात थी। उनका ये भी कहना था कि विकास ने जो स्टेटमेंट दिया वो पुलिस के सामने था। लिहाजा कानून इसे सही नहीं मानता। कानूनी तौर पर पुलिस के सामने दिए स्टेटमेंट की कोर्ट में सुनवाई के दौरान कोई अहमियत नहीं होती।