वित्त मंत्री अरुण जेटली ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) विवाद में हालिया घटनाक्रम (आलोक वर्मा की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई) को बेहद सकारात्मक बताया है। शुक्रवार (26 अक्टूबर) को उन्होंने इसके साथ ही साफ किया, “केंद्र सरकार इस मसले पर किसी के पक्ष या फिर विरोध में नहीं है। सरकार का जोर सीबीआई की स्वायत्ता बरकरार रखने पर है। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान सरकार की बात को ही आगे बढ़ाया। ऐसा कर कोर्ट ने मामले में निष्पक्षता का ख्याल रखा। अब सीवीसी मामले की जांच पूरी निष्पक्षता के साथ करेगी।”
बकौल जेटली, “सरकार इसमें न तो किसी का पक्ष ले रही है और न ही किसी के प्रति विरोध जता रही है। सरकार सिर्फ सीबीआई के व्यावसायिक गुणों, छवि और संवैधानिक गरिमा को बरकरार रखने में जुटी है। आज सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई के दौरान निष्पक्षता के पैमानों को और भी मजबूत कर दिया। कोर्ट ने जांच के लिए समय सीमा तय करने के साथ यह भी कहा कि वह सुप्रीम के रिटायर्ड जज की निगरानी में होगी।” सीवीसी को सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज एके पटनायक की निगरानी में दो हफ्तों के भीतर जांच पूरी करने के लिए कहा गया है।
CBI विवादः SC बोला- राव नहीं लेंगे नीतिगत निर्णय; 2 हफ्ते में CVC पूरी करे जांच; अगली सुनवाई 12 को
सुनिए, और क्या बोले FM–
#WATCH: FM Arun Jaitley says,”All officers of the CBI, particularly the top two officers like Caesar’s wife must be beyond suspicion.” pic.twitter.com/qlA1eLOCtH
— ANI (@ANI) October 26, 2018
सीबीआई की साख और छवि पर लगे सवालिया निशानों का जिक्र करते हुए वह बोले, “हाल की घटनाओं ने सीबीआई की साख को कठघरे में खड़ा किया। निष्पक्षता के लिए तय हुआ कि जब तक इन दोनों शीर्ष अधिकारियों के खिलाफ जांच नहीं पूरी हो जाती, उन्हें तब तक के लिए अपने दफ्तर और काम-काज से दूर रहना चाहिए।”
इससे पहले, सुबह वर्मा की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि अंतरिम निदेशक नागेश्वर राव सिर्फ रूटीन काम-काज देखेंगे। जांच के दौरान वह कोई नीतिगत फैसला नहीं लें पाएंगे। सीजेआई रंजन गोगोई ने इसी के साथ आलोक वर्मा मामले में केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) को जांच पूरी करने के लिए दो हफ्तों की डेडलाइन दी। कोर्ट ने आगे कहा कि सीवीसी इस मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ज जज एके पटनायक की निगरानी में करे। कोर्ट ने इसके अलावा केंद्र सरकार को नोटिस भेजा है, जिसमें उससे जवाब मांगा गया है। वहीं, कोर्ट ने राव से हर फैसले से जुड़ी जानकारी बंद लिफाफे में मांगी है।