विश्व हिंदू परिषद पश्चिम बंगाल में बड़े पैमाने पर जनसंपर्क अभियान शुरू करने की योजना बना रही है। इस अभियान के तहत विहिप लोगों से मिलकर उन्हें घुसपैठ के नुकसान के बारे में बताएगी और पश्चिम बंगाल सहित पूरे देश में एनआरसी लागू करने की जरुरत के बारे में बताएगी । विश्व हिंदू परिषद अपने इस अभियान के तहत करीब 2 लाख लोगों से संपर्क करेगी। विहिप नवंबर से पश्चिम बंगाल में सदस्यता अभियान भी चलाएगी।

विश्व हिंदू परिषद के अखिल भारतीय सह-संपादक सचिंद्रनाथ सिन्हा ने बताया कि “17 नवंबर से लेकर 1 दिसंबर तक हम पश्चिम बंगाल में सदस्यता अभियान चलाएंगे। हम 2 लाख लोगों से घर-घर जाकर मिलेंगे और उन्हें घुसपैठ के नुकसान और बंगाल में तुरंत एनआरसी लागू करने की जरुरत के बारे में समझाएंगे। हमें लगता है कि असम के बाद अब पूरे देश में एनआरसी लागू होना चाहिए। हम जिलाधिकारी और ब्लॉक विकास अधिकारी से मिलकर उन्हें ज्ञापन भी सौपेंगे।”

विहिप के अनुसार, संगठन दक्षिण बंगाल में 1.5 लाख लोगों से और उत्तरी बंगाल में 50,000 लोगों से संपर्क करेगा। सिन्हा का कहना है कि “सीमावर्ती इलाकों में घुसपैठ और अन्य गैरकानूनी गतिविधियां काफी ज्यादा बढ़ गई हैं। बंगाल की कुल जनसंख्या में से 31% अल्पसंख्यक हैं, जिनमें से अधिकतर घुसपैठिए हैं। जिस तरह से सरकार ने जम्मू कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाया, उसी तरह सरकार को लोकसभा और राज्यसभा में बिल लाकर एनआरसी लागू करना चाहिए।”

सिन्हा ने देश में नागरिकता संशोधन बिल, 2016 भी लागू करने की मांग की, ताकि देश में रहने वाले हिंदू, ईसाई और बौद्ध शरणार्थियों को नागरिकता मिल सके। सिन्हा के अनुसार, सरकार ने पहले भी नागरिकता संशोधन बिल लागू करने की कोशिश की थी, लेकिन बंगाल में सत्ताधारी पार्टी के सांसदों ने इसका जमकर विरोध किया था। गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को भारत पहुंचने पर नागरिकता दी जानी चाहिए।

सिन्हा के अनुसार, असम में एनआरसी लिस्ट में 19 लाख लोग बाहर रखे गए हैं और अब यह एक बड़ा सवाल बन गया है कि इन लोगों का क्या होगा। केन्द्र सरकार को अब इन लोगों के बारे में फैसला लेना होगा। यदि नागरिकता संशोधन बिल, 2016 यदि संसद में पास हो गया होता तो एनआरसी के मुद्दे पर इतना हंगामा नहीं होता।