किसी आपातकालीन सैन्य अभियान में अत्यधिक ऊंचाई से हवाई छलांग लगाकर अपने मिशन को पूरा करने वाले विशेष बलों (पैरा एसएफ) के लिए भारतीय सेना ने हिमाचल प्रदेश के बकलोह स्थित विशेष बल प्रशिक्षण स्कूल (एसएफटीएफ) में ‘वर्टिकल विंड टनल’ नामक एक ऐसी अनोखी सुविधा विकसित की है। जिससे बल कर्मियों को ऊंचाई से लगाई जाने वाली हवाई छलांग के दौरान होने वाली दुर्घटनाओं का कोई जोखिम नहीं रहेगा और उनका प्रशिक्षण भी बिना किसी दवाब के पूरा हो सकेगा।
सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे बुधवार को इसका वर्चुअली उद्घाटन करेंगे। सरकारी सूत्रों ने बताया कि इस सुविधा को सेना के विशेष दस्ते के हवाई जहाज से कूदने वाले प्रशिक्षण (काम्बेट फ्री फाल) के लिए बनाया गया है। इससे पहले इस तरह के प्रशिक्षण के लिए देश में कहीं भी कोई सुविधा नहीं थी। मौखिक जानकारी के बाद विशेष बलों के दस्ते को हथियारों और अन्य वजनी युद्धक सामग्री के साथ हवाई जहाज से कूदने का अभ्यास करना होता था। इसमें बल कर्मियों के घायल होने का जोखिम रहता था। अब नई सुविधा से इस समस्या का निदान हो जाएगा।
विंड टनल की विशेषता
सूत्रों ने बताया कि यह वर्टिकल विंड टनल एक स्टेट आफ द आर्ट सुविधा है। जिसे मेक इन इंडिया के तहत तैयार किया गया है और इसके निर्माण पर कुल 70 करोड़ रुपए की लागत आई है। आकार में यह टनल सुविधा गोलाकार है। जिसके चारों तरफ शीशे लगे हुए हैं और इसके नीचे एक पंखा लगा हुआ है। जो काफी तेज गति से हवा देता है।
मूलरूप से यह सुविधा एक ऐसा वातावरण तैयार करती है कि जिससे कूदने वाले विशेष बलों के कर्मियों को लगे कि वो हकीकत में हवाई जहाज से नीचे कूद रहे हैं। एक बार में इसमें चार लोगों को प्रशिक्षण दिया जा सकता है। जिसमें करीब पंद्रह से बीस मिनट तक ये लोग हवा में रहेंगे। इसकी मदद से बलों के नए और पुराने कर्मियों को आसानी से प्रशिक्षण दिया जाएगा।
प्रशिक्षण पाठ्यक्रम का होगा हिस्सा
विशेष बलों को दिए जाने वाले प्रशिक्षण पाठ्यक्रम में इस सुविधा को भी शामिल किया जाएगा। इससे एक नियंत्रित वातावरण में बिना जमीनी परिस्थितियों को छोड़े हुए सुरक्षात्मक रूप से हवाई छलांग से जुड़ा हुआ जटिल प्रशिक्षण प्राप्त किया जा सकता है। इसमें हवाई जहाज से छलांग लगाने के अलावा हथियारों को नियंत्रित करते हुए पूर्ण युद्धक व्यवहार को संभालना मुख्य है। भारतीय सेना ने मौजूदा वर्ष को बदलाव का वर्ष घोषित किया है। इसमें विभिन्न क्षेत्रों से जुड़ी हुई स्टेट आफ द आर्ट तकनीक और पद्वतियों का समावेश किया जा रहा है। ये सुविधा भी इसमें शामिल है।