Venkaiah Naidu: राज्यसभा के सभापति के तौर पर 73 वर्षीय उप राष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू का कार्यकाल 10 अगस्त को समाप्त हो जाएगा। अपने कार्यकाल में उन्होंने सत्ता पक्ष और विपक्षी दलों के सदस्यों को जोड़े रहने की कोशिश की। उनकी हाजिर जवाबी से सदन में भी लोगों को हंसते हुए देखा गया। दोनों पक्षों के बीच आपसी गहरी कलह और अविश्वास के समय भी उन्होंने एकजुट करने का काम किया।

सदन में महंगाई को लेकर होने वाले हंगामे पर उनकी हालिया टिप्पणी काफी चर्चा में रही। उन्होंने कहा, “मेरा कामकाज आपके सहयोग पर निर्भर है, नहीं तो मतभेद हो जाएगा।” हालांकि, नायडू को एक ऐसे उपराष्ट्रपति के रूप में देखा जाता था जिन्होंने राज्यसभा की सिर झुकाकर, रेफरी की भूमिका निभाई।

वहीं उनके आलोचकों का कहना है कि एक संवैधानिक भूमिका के बावजूद, नायडू का प्रेम कभी भी भाजपा के लिए कम नहीं हुआ। उपराष्ट्रपति बनने से पहले उस पार्टी में उन्होंने कई दशकों तक सेवा की। वे मानते हैं कि वह राज्यसभा के सबसे मिलनसार अध्यक्षों में से हैं। बता दें कि 6 अगस्त को नये उपराष्ट्रपति का चुनाव हो गया है। जिसमें एनडीए उम्मीदवार जगदीप धनखड़ को बड़ी जीत मिली है। धनखड़ 11 अगस्त को उपराष्ट्रपति पद की शपथ लेंगे।

23 सांसद निलंबित:

राज्यसभा में पिछले 13 सत्रों के दौरान, 248 अनुसूचित पूर्ण बैठकों में से 141 (या 57 प्रतिशत) बैठकें आंशिक रूप से या पूरी तरह से बाधित हो गईं। उच्च सदन में हंगामें के चलते 23 विपक्षी सांसदों को निलंबित कर दिया गया।

वेकैंया नायडू का जन्म 1 जुलाई, 1949 को आंध्र प्रदेश के एसपीएस नेल्लोर जिले के चावतापलेम में हुआ था। नायडू शुरुआत में ही आरएसएस में शामिल हो चुके थे। कानून में स्नातक की डिग्री के लिए आंध्र विश्वविद्यालय गए और वे एबीवीपी के सदस्य भी रहे। उनका चुनावी करियर 1978 में शुरू हुआ जब वे उदयगिरि से जनता पार्टी के विधायक के रूप में जीते।

1983 में, उन्होंने उसी निर्वाचन क्षेत्र से भाजपा के टिकट पर जीत हासिल की और 1988 तक, आंध्र भाजपा के अध्यक्ष बने। इसके बाद 1993 में नायडू पार्टी के महासचिव बनाए गए और केंद्रीय राजनीति में दस्तक दी।

आडवाणी के खास:

भाजपा में नायडू को लालकृष्ण आडवाणी के काफी करीबियों में देखा जाता था। गुजरात में 2002 के सांप्रदायिक दंगों के बाद तत्कालीन प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी चाहते थे कि नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में इस्तीफा दें लेकिन आडवाणी उन्हें हटाने के खिलाफ थे। सूत्रों का कहना है कि भाजपा अध्यक्ष के रूप में नायडू ने आडवाणी की इच्छा को वाजपेयी को बताया। बाद में वाजपेयी आधे-अधूरे मन से सहमत हो गये।

कांग्रेस के दिग्गज नेता जयराम रमेश ने नायडू को लेकर एक ट्वीट में कहा, “वेंकैया नायडू को उनके ह्यूमर और उनकी तर्क बुद्धि के लिए याद किया जाएगा। वह भले ही सेवानिवृत्त हो गए हों, लेकिन मुझे पता है कि वह थकेंगे नहीं।”