सरकार ने लोकसभा में जमीन अधिग्रहण विधेयक और राज्यसभा में खान एवं खनिज विधेयक पर विपक्ष की उसके रूख को लेकर आलोचना करते हुए कहा कि राजनीति विकास के उपर हावी होती जा रही है।

संसदीय कार्यमंत्री वेंकैया नायडू ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि लोकतंत्र के मंदिर-संसद में राजनीति को राष्ट्रहित और विकास से अधिक वरीयता दी जा रही है।

कुछ दल देश के किसानों को विकास की प्रक्रिया में शामिल होने और लाभान्वित होने से रोकने पर तुले हुए जान पड़ते हैं। उन्होंने दावा किया कि राजग सरकार ने जमीन अध्यादेश के मुद्दे पर सबसे अधिक लोकतांत्रिक तरीके से सहयोगी संघवाद की सच्ची भावना से काम किया। यह विधेयक विकास की कुंजियां राज्यों के हाथों में सौंपने की दृष्टि से लाया गया।

लोकसभा से जमीन अधिग्रहण संसोधन विधेयक, 2015 के पारित होने पर खुशी प्रकट करते हुए उन्होंने कहा कि इससे किसानों और देशों की लोगों की इच्छा परिलक्षित हुई है।

उन्होंने कहा कि एक सदन में एक बात कहना और दूसरे सदन में दूसरी बात. विकास पर राजनीति को प्राथमिकता देने का स्पष्ट संकेत है। हम इन दिनों यही होते हुए देख रहे हैं। खान एवं खनिज (विकास एवं विनियमन) संशोधन विधेयक, 2015 को सही ठहराते हुए नायडू ने कहा कि उसमें खुली निविदा के आधार पर गैर खनिजों के आवंटन की व्यवस्था की गई है।

उन्होंने कहा कि राज्यसभा में इस संबंध में बाधा खड़ी करने का क्या औचित्य है। देश के लोगों के साथ ही प्रधानमंत्री और सरकार राष्ट्रीय एवं विकास मुद्दों के वर्तमान राजनीतिकरण को लेकर गंभीर रूप से चिंतित हैं। उनका बयान खान एवं खनिज विधेयक को प्रवर समिति के पास भेजने की विपक्ष की मांग के सामने सरकार के झुक जाने के बाद आया है।