राजीव जैन

राजस्थान की भाजपा राजनीति में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे पहली बार बुरे दौर से गुजर रही हैं। ललित मोदी प्रकरण में उनके साथ-साथ पार्टी की भी खूब किरकिरी हो रही है। ताजा विवाद में पहली बार राजे तब फंसीं जब यह उजागर हुआ कि ललित मोदी के आव्रजन संबंधी दस्तावेज पर वह गोपनीय गवाह बनी थीं। इस गवाही से पहले उन्होंने शर्त रखी थी कि इसकी जानकारी किसी भी भारतीय एजंसी को नहीं दी जाएगी। उनकी इसी शर्त के चलते ही उनके लिए संकट खड़ा हो गया है।

अभी यह संकट टला भी नहीं था कि उनके सांसद बेटे दुष्यंत सिंह की कंपनी नियंत हेरिटेज होटल प्राइवेट लिमिटेड के दस रुपए के 965 शेयर ललित मोदी की कंपनी आनंद हेरिटेज होटल्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा 96 हजार रुपए में खरीदने का मामला प्रकाश में आ गया। इसके अलावा भी मोदी की कंपनी ने दुष्यंत सिंह की कंपनी को कर्ज के तौर पर तीन करोड़ रुपए से ज्यादा की रकम दी जो शेयरों के बदले ही चुकाई गई।

इस मामले में भी आरोप है कि यह सब वसुंधरा राजे के प्रभाव के चलते ही उनके बेटे की कागजी कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए किया गया। भाजपा ने इसे दोनों के बीच कारोबारी लेनदेन करार दिया है और कहा कि इसमें कुछ भी गलत नहीं हुआ। वसुंधरा राजे ने ललित मोदी से अपने घरेलू रिश्ते स्वीकार किए हैं पर आव्रजन संबंधी दस्तावेज पर उनका कहना है कि इसकी उन्हें जानकारी नहीं है। भाजपा नेतृत्व इस दस्तावेज को अप्रामाणिक मान कर ही राजे को क्लीन चिट दे रहा है।

वसुंधरा राजे के संकट में फंसने पर चार दिन तक तो उनकी मदद के लिए भाजपा आगे ही नहीं आई। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से मिलने का समय नहीं मिलने से भी उनकी परेशानियां बढ़ गर्इं। इसी बीच केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने जयपुर आकर उनसे तमाम जानकारी हासिल की और फिर राजे के समर्थन में बयानबाजी का दौर शुरू हुआ।