प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज देश को बड़ी सौगात देने जा रहे हैं। वे एक साथ पांच वंदे भारत ट्रेनों को हरी झंडी दिखाने जा रहे हैं। इसमें दो ट्रेनों को तो मध्य प्रदेश से हरी झंडी दिखाई जाएगी, वहीं बाकी तीन ट्रेनों को गोवा, बिहार और झारखंड से शुरू किया जाएगा। इसके लिए भोपाल के ही रानी कमलापति रेलवे स्टेशन पर एक बड़ा कार्यक्रम आयोजित होने जा रहा है, जहां पर पीएम मोदी इन ट्रोनों को हरी झंडी दिखाएंगे। भारत के पास इस समय बुलेट ट्रेन तो नहीं है, लेकिन इस स्वदेशी ट्रेन का नेटवर्क फुल स्पीड से बढ़ रहा है।

पांच वंदे भारत कहां-कहां से चलेंगी?

जानकारी के लिए बता दें कि पीएम मोदी भोपाल से रानी कमलापति-जबलपुर वंदे भारत एक्सप्रेस, खजुराहो-भोपाल-इंदौर वंदे भारत एक्सप्रेस, धारवाड़-बेंगलुरु वंदे भारत एक्सप्रेस, मडगांव-मुंबई वंदे भारत एक्सप्रेस, हटिया-पटना वंदे भारत एक्सप्रेस की सौगात देने जा रहे हैं। यहां भी गोवा, बिहार और झारखंड को तो अपनी पहली वंदे भारत ट्रेन मिलने जा रही है। जब आज पीएम मोदी इन ट्रोनों को हरी झंडी दिखा देंगे, तब वंदे भारत ट्रेनों का कुल आंकड़ा 23 पहुंच जाएगा।

वंदे भारत की कैसे शुरुआत हुई, कुल कितनी ट्रेनें?

वैसे देश को सबसे पहली वंदे भारत ट्रेन 15 फरवरी, 2019 को मिली थी। उस ट्रेन को वाराणसी से नई दिल्ली के बीच चलाया गया था। उसके बाद इस सुपरफास्ट ट्रेन का सिलसिला ऐसा शुरू हुआ कि चार सालों के अंदर में ही 23 ट्रेनें लॉन्च कर दी गईं। इन ट्रेनों की क्षमता 160 से 180 किमी प्रति घंटे की रफ्तार की है लेकिन भारत में अभी इन ट्रेनों को 130 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलाने की मंजूरी मिली है। कुछ रूट पर इन ट्रेनों की स्पीड इससे भी कम है।

किन राज्यों तक पहुंच चुकी वंदे भारत?

अभी वर्तमान में इन रूट्स पर वंदे भारत दौड़ती है– नई दिल्ली से वाराणसी, नई दिल्ली से माता वैष्णो देवी कटरा,गांधीनगर से मुंबई, दिल्ली से अंब अंदौरा, चेन्नई से मैसूर, नागपुर से बिलासपुर, हावड़ा से न्यू जलपाईगुड़ी, विशाखापट्टनम से सिकंदराबाद, मुंबई से सोलापुर, मुंबई से शिरडी, कमलापति रेलवे स्टेशन (भोपाल) से दिल्ली के हजरत निजामुद्दीन, सिकंदराबाद से तिरुपति, चेन्नई से कोयंबटूर।

दूसरी ट्रेनों से अलग कैसे वंदे भारत?

अब इसमें पांच और नई वंदे भारत जुड़ने जा रही हैं। वंदे भारत पूरी तरह स्वदेशी ट्रेन है, जिसका इंजन यहां बनता है, कोच यहां बनता है। इस ट्रेन में कई ऐसी सुविधाएं हैं जो दूसरी ट्रेनों में नहीं मिलती्ं। जीपीएस सिस्टम से आप अपनी लोकेशन और ट्रेन की लोकेशन ट्रैक कर सकते हैं। ऐसी तकनीक का इस्तेमाल है कि तेजी से रफ्तार पकड़ती है और उतनी ही स्पीड में ब्रेक भी लगा सकती है। यानी कि तेज स्पीड भी और समय रहते ब्रेक भी। इस वजह से जो एक जगह से दूसरी जगह की दूरी रहती है, उसको कवर करने में दूसरी ट्रेनों के मुकाबले काफी कम समय लगता है। इसके अलावा जिस तरह से मेट्रो में ऑटोमेटिक दरवाजे रहते हैं, यहां भी वही सुविधा है। जब तक दरवाजे बंद नहीं हो जाते, ट्रेन नहीं चलती, यानी कि यात्रियों की सुरक्षा का पूरा ध्यान रहता है।

सरकार का आगे क्या प्लान क्या है?

बड़ी बात ये है कि आने वाले समय में वंदे भारत की स्लीपर ट्रेन भी आने वाली है। इस ट्रेन में फिर यात्री आराम से सोते हुए भी सफर कर पाएंगे। चेन्नई में उस ट्रेन को बनाने पर अभी तेजी से काम किया जा रहा है। इसके अलावा सरकार ने एक महत्वाकांक्षी योजना और बना रखी है। उस योजना के तहत 2027 तक 478 वंदे भारत ट्रेन चलाने की तैयारी है।