दिल्ली के बुराड़ी का रहने वाला एक परिवार बीते 23 अगस्त को जम्मू-कश्मीर में माता वैष्णो देवी दर्शन करने के लिए घर से निकला था। घर से निकलते समय परिवार ने योजना बनाई कि सभी लोग 29 अगस्त तक माता के दर्शन करके वापस आ जाएंगे। लेकिन ऐसा नहीं हुआ और जम्मू में हुए भूस्खलन में परिवार बुरी तरह से फंस गया। दरअसल 40 साल के राजा ने अपने परिवार के साथ वैष्णो माता मंदिर दर्शन करने की योजना बनाई। इस योजना के पीछे उद्देश्य यह था कि उसके दो साल के बच्चे अयांश का मुंडन संस्कार होना था। इसी को ध्यान में रखते हुए 16 लोगों के साथ राजा और उसका परिवार वैष्णो देवी के दर्शन के लिए निकल पड़ा।

इस यात्रा के दौरान राजा के साथ उसकी पत्नी पिंकी (30), उसकी बेटियां दीपांशी (9) और आरोही (6) राजा के बड़ा भाई अजय, उसकी मां समेत कई लोग शामिल थे। जम्मू के लिए निकले परिवार के साथ हुए हादसे की जानकारी घर पर मौजूद लोगों को तब हुई जब 26 अगस्त को राजा के भतीजे यश का फोन आया। फोन की घंटी बजते ही राजा की मां राम कुमारी ने फोन पर रोते हुए कहा,’ बेटा मुझे कोई मिल नहीं रहा, यहां हादसा हो गया है।’

राम कुमारी अपनी पोती आरोही के साथ पालकी पर सवार होकर अर्धकुंवारी गुफा मंदिर जा रही थीं, तभी उनके पीछे चल रहे परिवार के अन्य सदस्य भूस्खलन में फंस गए। इस पूरी घटना को लेकर यश ने बताया, ‘राजा हमारे परिवार के मुखिया जैसे थे। उन्होंने यात्रा की सारी व्यवस्था की थी। वह नहीं चाहते थे कि उनकी बुजुर्ग मां और छोटी बेटी खड़ी पहाड़ी पर पैदल चलें, इसलिए उन्होंने उनके लिए पालकी का इंतजाम किया। पालकी उठाने वाले लोग तेज चल रहे थे, इसलिए वे परिवार से काफी आगे थे।’

स्थिति ऐसी की शवों को खोजना हो गया मुश्किल

दरअसल राम कुमारी को इस हादसे की खबर उस समय मिली जब पूरे इलाके में अंधेरा हो गया। घबराई हुई बुजुर्ग महिला और उसकी पोती होटल की ओर दौड़ीं। फिर उन्होंने होटल मालिक से निवेदन किया कि उनके फोन में यश का नंबर ढूंढ़ कर उसे सूचित करें।

यश ने बताया कि उसको फोन आने के बाद इस बात का डर सता रहा था कि कहीं कोई अनहोनी नहीं हुई हो। वो टीवी पर हादसे की खबरें देख रहा था, तभी उनकी नजर एक जाने-पहचाने चेहरे पर पड़ी। ‘एक रिपोर्टर किसी तरह अस्पताल में सुमन और पूनम (पिंकी की बहनें) का इंटरव्यू ले रहा था। दोनों के सिर पर पट्टियां बंधी थीं। वह रो रही थीं। उन्हें परिवार के दूसरे सदस्य कहीं नहीं मिल रहे थे।’ यश ने आगे बताया कि तब उसे पता चल गया था कि कोई भी जिंदा नहीं बचा है, लेकिन वह पुष्टि चाहता था।

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‘फोन पर बात होने के दौरान होटल मालिक ने मुझे जल्द से जल्द कटरा आने को कहा। उसने मुझे हादसे में मरने वालों की एक सूची भी भेजी। लेकिन इसमें राजा और दीपांशी के नाम नहीं था। जबकि अज्ञात शवों की सूची बहुत लंबी थी, जिससे मेरी बची-खुची उम्मीद भी खत्म हो गई’, उसने आगे कहा। वह अगले दिन कटरा के लिए निकल पड़ा। कटरा पहुंचने की बाद पता चला कि यहां केवल घायलों को ले जाया गया है। यश को पता चला कि केवल अयांश ही आईसीयू में पहुंचा है। इसके बाद उसे 35 किलोमीटर दूर जीएमसी अस्पताल ले जाया गया, जहां सभी शव रखे गए थे।

राजा के चेहरा पूरी तरह से कुचला हुआ था

जीएमसी अस्पताल की स्थिति देखकर यश कुछ समझ नहीं पा रहा था यश ने पहले अपने चाचा अजय को ढूंढा, लेकिन चूंकि सूची में उसी नाम के कई लोग थे, इसलिए उसे लाशों की कतार में ले जाया गया। इसको लेकर यश ने बताया, ‘वे उनके चेहरे से चादर हटाते और कहते, ‘क्या यही वह व्यक्ति है जिसे तुम ढूंढ रहे हो?’ जब मैं ना कहता, तो वे अगले शरीर की ओर बढ़ जाते,’ यश ने कहा, पिंकी और दीपांशी को पहचानना आसान था। ‘दीपांशी के सिर से थोड़ा खून बह रहा था, लेकिन मैं उसे तुरंत पहचान गया। पिंकी को मैं उसके लंबे बालों से पहचान सकता था, लेकिन राजा चाचा…’, राजा की बात करते हुए यश ने उस दृश्य को याद किया और कहा, ‘उनका सिर पूरी तरह कुचला हुआ था। मैं उन्हें बिल्कुल नहीं पहचान सका। उन्होंने मुझे उनके पैर और टांगें दिखाईं। उनके टखने हमेशा से पतले रहे थे और उनके पैर की उंगलियां अजीब थीं। वे एक तरह से चपटी थीं, जिस क्षण मैंने उनके पैर की उंगलियां देखीं, मुझे पता चल गया कि यह राजा चाचा हैं’।

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हादसा हुए एक हफ्ते हो चुके हैं लेकिन अब भी उनके बुराड़ी वाले घर में गम का साया छाया हुआ है। अभी भी यह स्पष्ट नहीं है कि उन 16 लोगों में से कितने लोग बच पाए। बच्चा अयांश अभी भी आईसीयू में है, लेकिन उसकी हालत स्थिर है। मां राम कुमारी अपराधबोध और दुःख में डुबी हुई हैं। वह वास्तविकता का सामना करने के बजाय लंबे समय तक सोना और बेहोशी की दवा लेना चाह रही हैं।

वहीं आरोही इतनी छोटी है कि समझ नहीं पा रही कि क्या हुआ है। राजा के बड़े भाई अजय का नया ई-रिक्शा घर के बाहर खड़ा है। उसने एक महीने पहले ही इसके लोन पर खरीदा था। परिवार का कहना है कि इसी महीने से शुरू होने वाले लोन की किश्तें, उनके सामने आने वाली समस्याओं का एक छोटा सा हिस्सा मात्र हैं। क्योंकि उन लोगों का पूरा परिवार ही समाप्त हो गया अब क्या ही बचा है।