राजस्थान विधानसभा चुनाव से ठीक पहले वसुंधरा राजे एक बार फिर अपनी पार्टी भाजपा के करीब दिखाई दे रही हैं। भाजपा ने उन्हें झारखंड में तैनात किया है। नरेंद्र मोदी के बतौर पीएम नौ साल पूरे होने के मौके पर देश भर में भाजपा के आउटरीच अभियान के तहत वसुंधरा राजे ने मंगलवार को गोड्डा में एक रैली की। भाजपा की योजना है कि तमाम बड़े नेता देश भर के सभी लोकसभा क्षेत्रों को कवर करेंगे, ऐसे में वसुंधरा राजे झारखंड पहुंची थी।
क्यों अहम माना जा रहा है वसुंधरा का यह दौरा?
वसुंधरा राजे को झारखंड के गिरिडीह, दुमका, गोड्डा और कोडरमा लोकसभा क्षेत्रों का जिम्मा सौंपा गया है। वसुंधरा राजे का यह कार्यक्रम एक आम नज़र से देखा जाना चाहिए लेकिन महत्वपूर्ण यह है कि कई वर्षों में यह शायद पहली बार था जब भाजपा ने वसुंधरा राजे को राजस्थान के बाहर इस तरह के कार्यक्रम में शामिल किया है।
देश भर में हुए दर्जनों विधानसभा चुनावों के साथ-साथ उपचुनावों में वसुंधरा राजे को भाजपा के स्टार प्रचारकों में शामिल नहीं किया गया है, भले ही वह दो बार पूर्व मुख्यमंत्री होने के अलावा पार्टी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं।
जैसे-जैसे राजस्थान चुनाव नजदीक आ रहा है, भाजपा नेतृत्व राजे के साथ अपने संबंध सुधारने की कोशिश कर रहा है। वसुंधरा राजे कोलेकर यह चर्चा आम रही है कि वह पीएम मोदी और अमित शाह के प्रभाव क्षेत्र से बाहर हैं। बतौर नेता उनका राजस्थान में काफी प्रभाव भी माना जाता है।
कर्नाटक चुनावों के बाद भाजपा राजस्थान में वापसी करने का प्रयास कर रही है। कर्नाटक चुनाव में भाजपा को काफी हद तक वहां के सबसे भरोसेमंद नेता पूर्व सीएम बी एस येदियुरप्पा को दरकिनार करने के लिए जिम्मेदार ठहराया गया था और इसे हार की वजह में शुमार किया गया था। अब भाजपा ऐसा राजस्थान में नहीं दोहराना चाहती है। राजस्थान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पिछली दो सभाओं में राजे ने गौरवपूर्ण स्थान हासिल किया है। इस साल की शुरुआत में भाजपा ने वसुंधरा राजे के प्रतिद्वंद्वियों के रूप में देखे जाने वाले नेताओं को हटा दिया था। जिसमें सतीश पूनिया को राज्य अध्यक्ष के पद से हटाया गया था जबकि गुलाब चंद कटारिया को असम के राज्यपाल के रूप राज्य से दूर कर दिया गया था।