उत्तराखंड में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले सियासी सरगर्मियां तेज हो गई हैं। शुक्रवार (दो जुलाई, 2021) को मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के इस्तीफे की पेशकश की खबर आई।

मीडिया रिपोर्ट्स कहा गया कि संवैधानिक संकट का हवाला देते हुए उन्होंने बीजेपी चीफ जेपी नड्डा को अपना इस्तीफा भेज किसी और को इस पद के लिए चुनने को कह दिया। हालांकि, इस्तीफे की अटकल के बीच रात को उन्होंने देहरादून में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। अपनी सरकार के काम और उपलब्धियां तो गिनाईं, पर इस्तीफे से जुड़े सवाल पर चुप्पी साधे रहे।  वह इस दौरान कुछ भी नहीं बोले। हालांकि, 20 हजार नियुक्तियां किए जाने और कोरोना के कारण सूबे की अर्थव्यवस्था पर असर पड़ने की बात स्वीकारी।

दरअसल, शुरुआती रिपोर्ट्स में सूत्रों के हवाले से कहा गया था कि बीजेपी चीफ जेपी नड्डा को रावत ने अपना इस्तीफा भेजा है। संवैधानिक संकट का हवाला देते हुए उन्होंने इस्तीफे की पेशकश की। बता दें कि रावत मौजूदा समय में किसी सदन के नेता नहीं हैं। 10 मार्च, 2021 को वह सीएम बने थे।

वैसे, रावत अपने कार्यकाल में कुछ बयानों को लेकर भी विवादों में घिरे। उन्होंने लड़कियों की जींस पर भी टिप्पणी दी थी, जिसे लेकर वह और उनकी पार्टी बैकफुट पर आई थी।

रोचक बात है कि उनके इस्तीफे की खबर तब उड़ी, जब वह तीन दिनों से दिल्ली में डेरा जमाए थे। उन्होंने पिछले 24 घंटों के भीतर दूसरी बार नड्डा से मुलाकात की। मुलाकातों के इस दौर से प्रदेश में एक और नेतृत्व परिवर्तन की अटकलें शुरू हो गईं। नड्डा के राजधानी स्थित आवास पर उनसे मुख्यमंत्री की लगभग आधे घंटे की यह मुलाकात ऐसे समय में हुई, जब रावत के भविष्य को लेकर तमाम तरह की अटकलें लगाई जा रही थीं।

यह अटकलें इसलिए भी लग रही थीं क्योंकि उत्तराखंड विधानसभा चुनावों में एक वर्ष से भी कम का समय बचा है और अपने पद पर बने रहने के लिए रावत का 10 सितम्बर तक विधानसभा सदस्य निर्वाचित होना संवैधानिक बाध्यता है। पौड़ी से लोकसभा सांसद रावत ने इस वर्ष 10 मार्च को मुख्यमंत्री का पद संभाला था।

जे पी नड्डा से मुलाकात के बाद रावत ने पत्रकारों से चर्चा में कहा कि उन्होंने भाजपा अध्यक्ष से आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर चर्चा की। उनसे उपचुनाव के संबंध में जब सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि यह विषय निर्वाचन आयोग का है और इसके बारे में कोई भी फैसला उन्हें ही करना है। उन्होंने कहा कि पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व इस बारे में जो भी रणनीति तय करेगा उसे आगे धरातल पर उतारा जाएगा।

उत्तराखंड में अटकलें लगाई जा रही थीं कि रावत गढ़वाल क्षेत्र में स्थित गंगोत्री सीट से उपचुनाव लड़ सकते हैं। प्रदेश में फिलहाल विधानसभा की दो सीटें, गंगोत्री और हल्द्वानी रिक्त हैं जहां उपचुनाव कराया जाना है। भाजपा विधायक गोपाल सिंह रावत का इस वर्ष अप्रैल में निधन होने से गंगोत्री सीट रिक्त हुई है जबकि कांग्रेस की वरिष्ठ नेता इंदिरा हृदयेश के निधन से हल्द्वानी सीट खाली हुई है।

हालांकि, 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव में अब एक साल से भी कम समय रह गया है। इसलिए उपचुनाव कराए जाने का निर्णय पूरी तरह से चुनाव आयोग के विवेक पर निर्भर है।

वहीं, भाजपा विधानमंडल दल की बैठक शनिवार को पार्टी के प्रदेश मुख्यालय में होगी। पार्टी के मीडिया प्रभारी मनवीर सिंह चौहान ने बताया कि प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक की अध्यक्षता में यह बैठक अपराह्न तीन बजे होगी। उन्होंने बताया कि पार्टी की ओर से सभी विधायकों को शनिवार की बैठक में उपस्थित रहने की सूचना दी गयी है। यही नहीं, भाजपा ने केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को उत्तराखंड राज्य के लिए केंद्रीय पर्यवेक्षक नामित किया है। वह कल राज्य में मौजूद रहेंगे।