अगले साल की शुरुआत में होने वाले उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने कैबिनेट का विस्तार किया है। कैबिनेट विस्तार में योगी आदित्यनाथ सरकार ने सोशल इंजीनियरिंग का पूरा ध्यान रखा है। इसी समीकरण को ध्यान में रखते हुए भाजपा ने जितिन प्रसाद समेत 9 नए लोगों को मंत्री बनाया है। इनमें से 3 मंत्री ओबीसी समुदाय से और दो एससी और एक एसटी समुदाय से हैं। वहीं भाजपा ने जितिन प्रसाद समेत चार नेताओं के नाम विधान परिषद सदस्य के तौर पर मनोनयन के लिए भेजे हैं। मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर विपक्ष ने भी तंज कसते हुए कहा है कि इससे कोई भला नहीं होगा।

रविवार को हुए कैबिनेट विस्तार भाजपा ने ब्राह्मण समाज से आने वाले जितिन प्रसाद को मंत्री बनाया है। कहा जा रहा है कि भाजपा ने जितिन प्रसाद को कैबिनेट में शामिल कर पिछले कुछ समय से मौजूदा उत्तरप्रदेश सरकार से नाराज चल रहे ब्राह्मण समुदाय को साधने की कोशिश की है। इसके अलावा भाजपा ने ओबीसी समुदाय से आने वाले संगीता बलवंत, धर्मवीर प्रजापति और छत्रपाल गंगवार को भी उत्तरप्रदेश कैबिनेट में शामिल किया है। संगीता बलवंत मल्लाह समुदाय से आती हैं जबकि धर्मवीर प्रजापति कुम्हार समुदाय और छत्रपाल गंगवार कुर्मी समुदाय से आते हैं।

इसके अलावा अनुसूचित जाति से आने वाले दिनेश खटीक और पलटूराम को भी उत्तरप्रदेश सरकार में मंत्री बनाया है। साथ ही अनुसूचित जनजाति से आने वाले संजय गौड़ को भी कैबिनेट में शामिल किया गया है। रविवार को लखनऊ स्थित राजभवन में आयोजित एक सादे समारोह में सातों मंत्रियों को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई गई। इस मंत्रिमंडल विस्तार से पहले प्रदेश सरकार में मुख्यमंत्री समेत 23 कैबिनेट मंत्री, नौ स्‍वतंत्र प्रभार वाले राज्य मंत्री और 21 राज्य मंत्री थे। वर्तमान में राज्य विधानसभा में सदस्‍यों की संख्‍या 403 है, ऐसे में नियमानुसार 60 मंत्री बनाये जा सकते हैं लेकिन मंत्रिमंडल विस्तार से पूर्व सिर्फ 53 मंत्री थे और सात पद खाली थे जिन्हें भरा गया।

रविवार को हुए मंत्रिमंडल विस्तार को उत्तरप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने छलावा करार दिया। अखिलेश यादव ने कहा कि उप्र की भाजपा सरकार का मंत्रिमंडल विस्तार भी एक छलावा है। साढ़े चार साल जिनका हक़ मारा आज उनको प्रतिनिधित्व देने का नाटक रचा जा रहा है। जब तक नये मंत्रियों के नामों की पट्टी का रंग सूखेगा तब तक तो 2022 चुनाव की आचार संहिता लागू हो जाएगी। भाजपाई नाटक का समापन अंक शुरू हो गया है। 

अखिलेश यादव के अलावा समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता आशुतोष वर्मा ने भी मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर भाजपा पर निशाना साधा और कहा कि इससे उनका कोई भला नहीं होगा। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉक्टर आशुतोष वर्मा ने कहा कि चार महीने पहले हुए पंचायत चुनाव में झटका लगने के बाद भाजपा को पता चल गया है कि वह जनता से कितनी दूर हो गई है और इस हताशा में वह जातिगत समीकरण साध कर इस दूरी को पाटने की कोशिश कर रही है। मगर इससे उसका कोई भला नहीं होगा। उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा ने पिछले साढ़े चार साल में प्रदेश में दलितों और पिछड़ों के साथ जमकर अन्याय किया। जब विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लगने में महज ढाई-तीन महीने रह गए हैं, तब भाजपा मुखौटे मंत्रियों के जरिए अपनी नैया पार लगाने की जुगत भिड़ा रही है। इतने कम समय में यह मंत्री क्या काम करेंगे। इन्हें तो अपने विभाग का बजट भी नहीं मिल पाएगा।

विधान परिषद के लिए भाजपा ने भेजे चार नाम: उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा)ने रविवार को हुए मंत्रिमंडल विस्तार में कैबिनेट मंत्री बनाए गए जितिन प्रसाद समेत चार नेताओं के नाम विधान परिषद सदस्य के तौर पर मनोनयन के लिए भेजे हैं। सूत्रों के मुताबिक सरकार ने जितिन प्रसाद के साथ-साथ निषाद पार्टी के मुखिया संजय निषाद, चौधरी वीरेंद्र सिंह गुर्जर और गोपाल अंजान भुर्जी के नाम विधान परिषद सदस्य के तौर पर मनोनीत किए जाने के लिए राजभवन भेजे हैं। उत्तर प्रदेश की 100 सदस्यीय विधान परिषद में समाजवादी पार्टी के सबसे ज्यादा 48 सदस्य हैं। इसके अलावा भाजपा के 33, बसपा के छह, निर्दलीय चार, शिक्षक दल के दो तथा अपना दल और कांग्रेस का एक-एक सदस्य है। (भाषा इनपुट्स के साथ)