यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर सिलक्यारा-डंडालगांव सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को 8 दिन बीत जाने के बाद भी बाहर नहीं निकाला जा सका है। बचाव में जुटे अधिकारियों ने कई तरह की तकनीकों को काम में लिया है लेकिन सफलता हाथ नहीं लग सकी है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मजदूरों को निकालने के लिए वर्टिकल ड्रिल के तरीके पर काम शुरू किया गया है। टनल के ऊपर डेढ़ सौ मीटर से भी ज़्यादा ऊंची पहाड़ी के टॉप से सुरंग के लिए ड्रिल करने की तैयारी हो गई है। इससे पहले बचाव अभियान को एहतियात के तौर पर रोक दिया गया था।
अब तक के क्या हैं ताजा अपडेट?
केंद्र सरकार ने शनिवार को सुरंग के अंदर फंसे 41 मजदूरों को बचाने के लिए अलग-अलग विकल्पों पर चर्चा करने के लिए एक उच्च स्तरीय बैठक की है, जिसमें विभिन्न एजेंसियों को काम सौंपे गए हैं। बैठक में तकनीकी सलाह के आधार पर पांच बचाव विकल्पों पर विचार किया गया। एक अधिकारी ने कहा, “NHIDCL, ONGC, SJVNL, THDC, RVNL को एक-एक विकल्प सौंपा गया है। बीआरओ और भारतीय सेना की निर्माण शाखा भी बचाव अभियान में सहायता कर रही है।”
टूट रहा है मजदूरों का हौसला
उत्तरकाशी के टनल में फंसे 40 मज़दूरों को निकालने के काम में हो रही लगातार हो रही देरी से घर के लोग काफी मायूस हैं और मजदूरों का हौसला भी टूटने लगा है। मजदूरों को निकलने के काम में रुकावट आई है और फिलहाल काम रुका हुआ है। ताजा रिपोर्ट्स के मुताबिक पहाड़ को ऊपर से छेदने का काम शुरू हो चुका है।
एनडीआरएफ, राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (एसडीआरएफ), सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) और भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के 160 से अधिक सदस्य श्रमिकों तक पहुंचने के लिए चौबीसों घंटे काम कर रहे हैं। एनडीआरएफ के एक अन्य अधिकारी ने कहा कि खुदाई अभियान के दौरान चट्टानों के टुकड़े नीचे आते रहते हैं और कभी-कभी, मार्ग के साफ हिस्से पर गिर जाते हैं, जिससे प्रयास विफल हो जाते हैं. उन्होंने कहा कि बार-बार मलबा गिरने से काम में बाधा आ रही है।