उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में आई भीषण बाढ़ और भूस्खलन के कारण महाराष्ट्र के 151 पर्यटक धराली क्षेत्र में फंस गए हैं। इनमें से 120 पर्यटकों को भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) के एक सुरक्षित शिविर में शरण मिली है, लेकिन 31 लोगों का अब तक कोई पता नहीं चल पाया है। लापता लोगों में मुंबई, ठाणे, सोलापुर, नासिक, मालेगांव, टिटवाला और अहिल्यानगर के निवासी शामिल हैं।

इलाके में लगातार खराब मौसम और संचार व्यवस्था ठप होने से बचाव कार्यों में भारी कठिनाई आ रही है। महाराष्ट्र के मुख्य सचिव राजेश कुमार ने उत्तराखंड के मुख्य सचिव आनंद बर्धन से बात कर बचाव अभियान को तेज करने की अपील की है। उत्तराखंड प्रशासन के अनुसार, घने बादलों, टूटे मोबाइल टावरों और बैटरी खत्म होने की वजह से पर्यटकों से संपर्क नहीं हो पा रहा है।

प्रशासन सैटेलाइट फोन की मदद से संपर्क की कोशिश में जुटी है

हालांकि, प्रशासन ने सैटेलाइट फोन की मदद से कुछ राहत पहुंचाने की कोशिश की है। अब दूरसंचार विभाग, आपदा प्रबंधन दल और आईटीबीपी संयुक्त रूप से लापता पर्यटकों के अंतिम लोकेशन का पता लगाने में जुटे हैं। जरूरत पड़ने पर हवाई मदद से लोगों को बाहर निकालने की तैयारी भी की जा रही है।

महाराष्ट्र के आपदा प्रबंधन मंत्री गिरीश महाजन खुद देहरादून पहुंच गए हैं और राहत कार्यों की निगरानी कर रहे हैं। मुंबई स्थित राज्य आपदा नियंत्रण कक्ष उत्तराखंड के अधिकारियों, राष्ट्रीय आपातकालीन प्रतिक्रिया केंद्र और उत्तरकाशी के स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर लापता लोगों की तलाश और उनके परिवारों की मदद कर रहा है।

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महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने स्थिति की समीक्षा की है और अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि जैसे ही मौसम अनुकूल हो और रास्ते खुलें, पर्यटकों को सुरक्षित वापस लाने के लिए विशेष विमान या ट्रेन की व्यवस्था की जाए। प्रशासन हरसंभव प्रयास कर रहा है कि फंसे हुए लोगों को जल्द से जल्द सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाया जा सके।

उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के धराली गांव में मंगलवार को बादल फटने की घटना ने भारी तबाही मचाई है। खीरगंगा नदी में अचानक आए तेज उफान के कारण गांव में हालात बेहद गंभीर हो गए हैं। पानी की तेज धार ने दर्जनों मकानों, होटलों और होम स्टे को अपनी चपेट में ले लिया। देखते ही देखते कई संरचनाएं बह गईं और स्थानीय लोगों में अफरा-तफरी मच गई।

प्रशासन राहत और बचाव कार्य में जुटा है, लेकिन खराब मौसम और टूटी सड़कों के कारण स्थिति और जटिल बनी हुई है। घटनास्थल से लगातार नुकसान की तस्वीरें सामने आ रही हैं, जिससे तबाही की भयावहता का अंदाजा लगाया जा सकता है।