उत्तराखंड की भाजपा सरकार जल्दी ही समान नागरिक संहिता लागू करने वाली है। उत्तराखंड देश का पहला ऐसा राज्य होगा, जिसमें समान नागरिक संहिता कानून लागू होगा। राज्य में समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए बनी विशेषज्ञों की कमेटी अपना मसविदा दो फरवरी को राज्य सरकार को सौंप देगी। उसे कानूनीजामा पहनाने के लिए राज्य सरकार ने विधानसभा का सत्र बुलाया है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि राज्य में समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए हमारी सरकार ने सभी आवश्यक तैयारियां पूरी कर ली है। सरकार आगामी विधानसभा सत्र में विधेयक लाकर समान नागरिक संहिता को प्रदेश में लागू करेंगी। उच्चतम न्यायालय की पूर्व न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में गठित विशेषज्ञ समिति ने समान नागरिक संहिता का मसौदा तैयार कर लिया है। इसे समिति की अध्यक्ष और अन्य सदस्य सरकार को सौंपेंगे। इसके बाद समान नागरिक संहिता को कानूनी जामा पहनाने के लिए विधिवत कार्रवाई शुरू की जा सकेगी।

फरवरी 2022 में राज्य के विधानसभा चुनाव हुए थे। विधानसभा चुनाव में भाजपा ने अपने घोषणा पत्र में राज्य में फिर से भाजपा सरकार बनने पर समान नागरिक संहिता कानून लागू करने की बात कही थी। मार्च 2022 में भाजपा मंत्रिमंडल में प्रस्ताव पारित कर विशेषज्ञ समिति के गठन का निर्णय लिया। उसके बाद राज्य सरकार ने इस दिशा में सक्रियता से कार्य किया।

मई 2022 में उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता का मसौदा तैयार करने के लिए उच्चतम न्यायालय सेवानिवृत न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय कमेटी गठित की गई। कमेटी में न्यायमूर्ति देसाई के अतिरिक्त दिल्ली उच्च न्यायालय के सेवानिवृत न्यायाधीश के प्रमोद कोहली, सामाजिक कार्यकर्ता मनु गौड़, उत्तराखंड के पूर्व मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह और दोनों विश्वविद्यालय की कुलपति डाक्टर सुरेखा डंगवाल शामिल हैं।

सोमवार को समान नागरिक संहिता राज्य में लागू करने को लेकर उस समय सरगर्मियां तेजी से बढ़ गई, जब मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक भारत श्रेष्ठ भारत के विजन और चुनाव से पहले उत्तराखंड की देवतुल्य जनता के समक्ष रखे गए संकल्प, उनकी आकांक्षाओं के अनुरूप हमारी सरकार प्रदेश में समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए हमेशा प्रतिबद्ध रही है।

उत्तराखंड विधानसभा के सचिव की ओर से पांच फरवरी से आठ फरवरी तक विधानसभा सत्र आहूत करने की सूचना दी गई है। सूत्रों के मुताबिक विधानसभा के इस सत्र में सदन के पटल पर समान नागरिक संहिता के लिए बनाई गई विशेषज्ञों की समिति की रिपोर्ट रखी जाएगी जिस पर मोहर लगाने के लिए धामी सरकार ने सभी तैयारियां पूरी कर ली हैं।

विधानसभा में राज्य सरकार का पूर्ण बहुमत है और और आसानी से राज्य सरकार समान नागरिक संहिता को कानूनी जामा बनाने में सफलता प्राप्त कर लेगी। यह धामी सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धि होगी। राजनीतिक पंडितों के अनुसार अगले लोकसभा के आम चुनाव में राज्य में यह मुद्दा सबसे प्रमुख होगा। इस ऐतिहासिक फैसले से मुख्यमंत्री की छवि देश में एक उभरते हिंदूवादी राजनेता के रूप में स्थापित हो रही है।

विशेषज्ञ समिति को ढाई लाख से ज्यादा सुझाव मिले

राजनीतिक विलेश्षक अवनीत कुमार घिल्डियाल कहते हैं कि राज्य में समान नागरिक संहिता विधेयक को कानूनी रूप देने का पूरा श्रेय धामी को है। इसका राजनीतिक फायदा भाजपा को पूरी तरह मिलेगा। समान नागरिक संहिता का मसविदा बनाने के लिए बनी विशेषज्ञ समिति ने राज्य के 13 जिलों में विभिन्न सामाजिक संगठनों, बौद्धिकों और सभी धर्म के लोगों से समान नागरिक संहिता कानून को लेकर बातचीत की और कई संगोष्ठियां आयोजित की गईं। इस कमेटी को प्रदेश भर से करीब आनलाइन और आफलाइन ढाई लाख से ज्यादा सुझाव प्राप्त हुए। इनके आधार पर संहिता का मसविदा तैयार किया गया है।