उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड बिल पेश हुआ और फिर एक दिन बाद ही हंगामे के बीच पास हो गया है। इसके प्रवाधानों को लेकर खूब चर्चा हो रही है। विपक्षी दलों ने इसका विरोध किया है, तो बीजेपी इसे एक अहम कदम बता रही है। वही इस बिल के प्रावधानों को लेकर सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील और कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि लोकसभा चुनाव से ठीक पहले इस बिल का आना सीधे तौर पर प्रतीकात्मक और राजनीति से प्रेरित है। उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी इन्हीं कदमों के लिए जानी जाती है। उन्होंने कहा कि असली यूसीसी वही होगा जि को राष्ट्रीय कानून के तौर पर सर्वसम्मति से लागू होगा।

सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील से जब इस बिल के आपत्तिजनक प्रावधानों को लेकर पूछा गया तो उन्होंने लिव इन रिलेशनशिप का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा लिव इन रिलेशनशिप के लिए इस यूसीसी में रजिस्ट्रेशन का नियम है, जो कि नैतिक दबावों जैसा लगता है। यह यूसीसी के मूल मुद्दों से संबंधित नहीं है। सिंघवी ने इसे निजता का हनन बताया है। उन्होंने सीधे तौर पर इसे सुप्रीम कोर्ट के आर्टिकल 21 से जुड़े अनेकों फैसलों का उल्लंघन करता है।

अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि तलाक, उत्तराधिका हिंदू कानूनों से थोपा गया है। उन्होंने कहा कि यह प्रावधान सर्वसम्मति से इतर बहुसंख्यक समुदाय को नियंत्रित करने वाले नियमों को थोपना दर्शाता है। उन्होंने कहा कि यह चुनाव से पहले यूसीस राज्यों में टुकड़ों में थोपने का प्रयास किया जा रहा है।

अधूरा है पारिवारिक कानून

वरिष्ठ वकील ने कहा कि कुछ साल पहले सरकार के विधि आयोग की रिपोर्ट में कहा गया था कि यूसीसी आवश्यक भी नहीं है और न ही वांछनीय है। वहीं अब जब सदस्य बदल गए तो सरकार को मिली एक नई रिपोर्ट में इसकी जरूरत ज्यादा बताई जाता है, जो कि विश्वसनीयता को कम करता है। बीजेपी की अलग-अलग राज्यों में शासित सरकारे यूसीसी लाने की बात कर रही है। इसको लेकर अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि यह विरोधाभासी है। विभिन्न राज्यों में अलग-अलग विविधता वाली अनेक पारिवारिक कानून व्यवस्थाओं को एक समान संहिता कैसे कहा जा सकता है, यह एक अधूरा पारिवारिक कानून है।

क्या है सकारात्मक पहलू?

यूसीसी के पॉजिटव पहलुओं पर बात करते हुए सिंघवी ने कहा कि हां इसमें बच्चों से जुड़ा प्रावधान पॉजिटिव है। प्रावधान के मुताबिक सभी बच्चे, चाहे वे लिव रिलेशनशिप में हुए हो या फिर शादी के बाद, सभी को वैध माना जा रहा है। उन्हें सभी अधिकार दिए जा रही है। उन्होंने कहा कि महिलाओं और पुरुषों की शादी की उम्र पर कोई एतराज भी नहीं है। इसके अलावा कई तरह की पुरानी विसंगतियों को दूर किया गया है, जो कि स्वागत योग्य है।