उत्तराखंड के जंगलों में बेकाबू होती आग पर काबू पाने के लिए सेना को बुलाया गया है। साथ ही एनडीआरएफ की 11 टीमें आग बुझाने के लिए लगाई गई हैं। इसके अलावा आइटीबीपी के जवान भी आग बुझाने में लगे हुए हैं। शनिवार को उत्तराखंड के मुख्य सचिव ने उत्तराखंड के जंगलों में लगी आग की घटना को लेकर आलाधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की। अब तक आग की लपेट में आने से मरने वालों की तादाद छह हो गई है।
उत्तराखंड के पुलिस महानिरीक्षक संजय गुंज्याल ने बताया कि पहाड़ों के जंगलों में लगी आग की घटनाओं को देखते हुए पूरे प्रदेश में रेड अलर्ट घोषित कर दिया गया है। हाथियों और टाइगरों के लिए मशहूर राजाजी राष्टीय पार्क की मोतीचूर और हरिद्वार रेंज के जंगलों में भारी आग लगने से पार्क के अधिकारियों में अफरा-तफरी मच गई और आग की लपटें मोतीचूर रेलवे स्टेशन के आसपास तक फैल गई। जिसे बमुश्किल जंगलात विभाग की आग बुझाने वाली टीमों ने बुझाया।
सूबे के जंगलात विभाग के सूत्रों के मुताबिक गढ़वाल मंडल में आग लगने की घटनाएं साढे पांच सौ से ज्यादा हैं। गढ़वाल मंडल में नौ सौ हैक्टेयर जंगल आग की लपेट से प्रभावित हैं। अभी तक उत्तराखंड में एक हजार से ज्यादा आग लगने की घटनाएं हो चुकी हैं। टिहरी जिले के चंपा ऋषिकेश सड़क मार्ग पर आग की लपटें आने से यातायात में रुकावट आई है। कुमाऊं मंडल के बारोकोट क्षेत्र में जंगल में लगी आग को बुझाते समय एक व्यक्ति की पहाड़ से गिरकर मौत हो गई। कुमाऊं मंडल के नैनीताल जिले में आग बुझाने को लेकर झुलसे एक प्रधान की इलाज के दौरान मौत हो गई। नैनीताल की वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक स्वीटी अग्रवाल ने बताया कि नैनीताल के जंगलों में आग बुझाने की कार्रवाई प्रभावी ढंग से की जा रही है। उन्होंने बताया कि नैनीताल जिले के लालकुआं में झुग्गी-झोपड़ियों में आग लगने से दो लोगों की मौत हो गई है।
चमोली के जिलाधिकारी विनोद कुमार सुमन ने बताया कि चमोली जिले के जंगलों में 122 आग लगने की घटनाएं हुई थीं। जिन पर पूरी तरह काबू पा लिया गया है। चमोली जिले में जनहानि की कोई सूचना नहीं है। आग की सबसे ज्यादा विभीषिका गढ़वाल मंडल के पौड़ी जिले में देखने को मिली है। पौड़ी से कोटद्वार तक के सड़क मार्ग के जंगलों में कई जगह भीषण आग लगी हुई है। उत्तराखंड में अब तक दो दर्जन से ज्यादा वन्य जीव आग लगने से मौत के मुंह में चले गए हैं। और डेढ़ दर्जन से ज्यादा लोग आग से झुलस गए हैं। कुमाऊं मंडल के कमिश्नर एके नयाल ने बताया कि आग पर काबू पाने के लिए सभी संभव प्रयास किए जा रहे हैं। और आग से हुए नुकसान का जायजा लिया जा रहा है। गढ़वाल मंडल में आग से मरने वालों की संख्या दो है।
नैनीताल से हमारे संवाददाता के मुताबिक कुमाऊं के जंगल भीषण आग की चपेट में हैं। कई इलाकों में वनाग्नि जंगलों की सीमाएं लांघ कर आबादी तक पहुंच गई हैं। जंगल की आग से अब घर, खेत और खलिहान भी महफूज नहीं हैं। इस साल अप्रैल महीने में कुमाऊं के जंगलों में आग लगने की तकरीबन सवा तीन सौ से ज्यादा घटनाएं घट चुकी हैं। जिसमें करीब पौने सात सौ हेक्टेयर वन क्षेत्र आग में जलकर खाक हो चुका है।
जंगलों में लगी आग के चलते बेशकीमती वन संपदा और जैव विविधता को जबर्दस्त नुकसान पहुंचने का अंदेशा है। वन्य जीव जान बचाने की गरज से इधर-उधर भाग रहे हैं। जंगलों में चारों ओर आग लगी होने की वजह से इन दिनों पहाड़ में धुंध-सी छाई हुई है। हर तरफ से उठते काले धुएं के गुबार से आसमान भी धुंधला नजर आ रहा है। वनाग्नि के चलते पहाड़ का तापमान चार से पांच डिग्री तक बढ़ गया है। इस सबके बीच उत्तराखंड में मौजूद जंगलों के एवज में ‘ग्रीन बोनस’ मांगने वाले सियासतदां कुर्सी छीनने और बचाने की रस्साकशी में मशगूल हैं।