भाजपा ने गुरुवार को कहा कि हरीश रावत सरकार अब भी अल्पमत में है और यह 29 अप्रैल को साबित हो जाएगा जब विधानसभा में शक्ति परीक्षण होगा। उत्तराखंड हाई कोर्ट की ओर से राज्य में राष्ट्रपति शासन हटाकर कांग्रेस सरकार बहाल करने का फैसला सुनाए जाने के बाद पार्टी ने यह बात कही। पार्टी नेताओं ने कहा कि केंद्र सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटाखटा सकता है और सुप्रीम कोर्ट के निर्देश से स्थिति बदल सकती है। अदालत के आदेश के बाद राज्य में सरकार बनने की पार्टी की योजना विफल हो गई।
भाजपा ने फैसले पर भी सवाल उठाए और कहा कि पिछले तीन दिनों से खंडपीठ जो टिप्पणियां कर रही थी उसे देखते हुए पार्टी को कोई आश्चर्य नहीं हुआ। पार्टी के महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने संवाददाताओं से कहा- फैसले से हमें आश्चर्य नहीं हुआ। अदालत पिछले तीन दिन से जो टिप्पणियां कर रही थी उससे इस तरह के फैसले की उम्मीद थी। हमारे जहन में सवाल उठ रहा है कि स्टिंग में पकड़े गए मुख्यमंत्री हरीश रावत को अदालत ने राहत दी है।
उन्होंने कहा- हरीश रावत की सरकार कल अल्पमत में थी, आज भी है और कल भी रहेगी। यह 29 अप्रैल को साबित हो जाएगा। उत्तराखंड में राजनीतिक उठापटक का दौर शुरू होने के समय से ही वे इन मामलों को देख रहे थे। उन्होंने कहा कि हाई कोर्ट की दूसरी पीठ के समक्ष कांग्रेस के नौ बागी विधायकों को अयोग्य ठहराने को लेकर 28 अप्रैल को सुनवाई होनी है और ऐसे में उन्होंने आश्चर्य जताया कि क्या खंडपीठ का आदेश उनके मामले में पक्षपातपूर्ण नहीं रहा।
राज्य विधानसभा में 61 विधायकों में से कांग्रेस और भाजपा दोनों के 27 विधायक हैं जबकि छह विधाायक छोटे दलों के हैं जो रावत सरकार का समर्थन कर रहे हैं। इसमें कांग्रेस के नौ अयोग्य विधायक शामिल नहीं हैं। विधानसभा में एक मनोनीत सदस्य भी है। सूत्रों के मुताबिक भाजपा छह विधायकों में से कुछ के संपर्क में है और अपने पक्ष में संख्या बल करने के लिए प्रयास कर रही है।