RSS General Secretary Hosabale: आरएसएस (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) के महासचिव दत्तात्रेय होसबोले (RSS General Secretary Dattatreya Hosabale) ने यूपी के सुल्तानपुर में शुक्रवार (13 जनवरी, 2023) को कहा कि केवल ‘भारत माता की जय (Bharat Mata ki Jai)’ कहने से देशभक्ति नहीं होती है, जिसके लिए निस्वार्थ सेवा भी जरूरी है। एक उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि भगवान राम के नाम नहीं, बल्कि उनके काम ने लोगों का उत्थान किया।
दत्तात्रेय होसबोले (Dattatreya Hosabale) ने यहां एक ‘मकर संक्रांति’ कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि यदि श्रीकृष्ण की महानता, श्रीराम की श्रेष्ठता का अपने जीवन में स्थान नहीं है, हमारे जीवन के आचरण, व्यवहार, परिवेष, घरों, परिसर, परिवेश में उतारना नहीं है तो केवल रामजी की श्रेष्ठता बताने से कुछ नहीं होगा।
उन्होंने कहा कि रामजी के नाम से नहीं रामजी के काम से मनुष्य ऊपर उठता है। हां इतना जरूर है कि राम जी के काम करते हुए रामजी का नाम लेना पड़ता है। जैसे भारत माता की जय बोलने से देश भक्ति नहीं होती। होसबोले ने कहा कि ‘भारत माता की जय’ बोलने से देशभक्ति नहीं होती। ऐसा कहने का नैतिक अधिकार तभी मिलेगा जब कोई कड़ी मेहनत करेगा और इसके प्रति गंभीर प्रयास करेगा।
जब भी देश में कोई संकट आया तो RSS के स्वयंसेवकों ने पीड़ितों की सेवा की: होसबोले
आरएसएस के पदाधिकारी ने भारत के बारे में भारत के पूर्वजों के सपनों को समझने और उन्हें साकार करने की कोशिशों पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि हमारे देश के महापुरूषों की माला हमारे लोगों में उत्साह पैदा करने और चेतना जगाने के लिए किसी भी अन्य देश की सभ्यता से कम नहीं है। गुरुवार को यहां पहुंचने पर होसबोले ने कहा कि जब भी देश में कोई संकट आया तो आरएसएस के स्वयंसेवकों ने पीड़ितों की सेवा की।
प्रेशर ग्रुप बनाने के लिए वॉलेंटियर तैयार नहीं करता है RSS: मोहन भागवत
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने 7 जनवरी को गोवा की राजधानी पणजी में संघ के अखिल भारतीय पदाधिकारियों एवं संबद्ध संगठनों के प्रमुख पदाधिकारियों की समन्वय बैठक को संबोधित किया था। इस दौरान उन्होंने कहा था कि उनका संगठन (RSS) ऐसे स्वयंसेवक तैयार करता है जो कई क्षेत्रों में देश के लिए योगदान दे सकते हैं, लेकिन उनके संगठन से कोई ‘प्रेशर ग्रुप’ बनाने की कोशिश नहीं की जाती है।
भागवत ने कहा कि आरएसएस स्वयंसेवक अपने व्यक्तिगत स्तर पर विभिन्न सामाजिक कार्यों में शामिल हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि संघ एक ‘सेवा संगठन’ है। उन्होंने कहा कि स्वयंसेवक जो कुछ भी करते हैं, वह उनकी व्यक्तिगत क्षमता में होता है। संघ ने उन्हें वह सोच दी है, जिसके चलते जहां काम की जरूरत होती है, वहां काम करते हैं। उन्होंने सभी को साथ लेकर चलने की कला में महारत हासिल की है, इसलिए वे समाज का नेतृत्व करते हैं।