चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) जस्टिस एसए बोबडे ने कहा है कि 64 मुकदमे दर्ज होने के बाद भी कुख्यात अपराधी विकास दुबे को जमानत मिली, जिसका खामियाजा आज समूचा उत्तर प्रदेश भुगत रहा है। सीजेआई ने ये टिप्पणी मंगलवार को एक अन्य गैंगस्टर को बेल देने के मामले की सुनवाई के दौरान की।
दुर्दांत दुबे का हवाला देते हुए कोर्ट ने इस केस में अपराधी को बेल देने से भी साफ मना कर दिया। जस्टिस बोबडे बोले, “तुम खतरनाक इंसान हो…इसलिए तुम्हें नहीं छोड़ा जा सकता है।”
उन्होंने आगे कहा- देखिए, दूसरे मामले (विकास दुबे वाले में) में क्या हुआ। आज पूरा उत्तर प्रदेश एक आदमी की वजह से खामियाजा भुगत रहा है, क्योंकि 64 मुकदमे दर्ज होने के बाद भी उसे बेल पर रिहा कर दिया गया।
इसी बीच, सुप्रीम कोर्ट ने दुबे मुठभेड़ कांड और पुलिसकर्मियों के नरसंहार की घटनाओं की जांच के लिए गठित तीन सदस्यीय जांच आयोग के दो सदस्यों को बदलने के लिये दायर याचिका मंगलवार को खारिज कर दी। याचिका में आयोग के सदस्य उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश शशि कांत अग्रवाल और पूर्व पुलिस महानिदेशक के एल गुप्ता को हटाने का अनुरोध किया गया था।
सीजेआई एसए बोबडे, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमणियन की बेंच ने कहा कि वह गुप्ता को जांच आयोग से हटाने के लिये मीडिया इंटरव्यू का हवाला देने वाले याचिकाकर्ताओं को जांच आयोग पर किसी प्रकार का आक्षेप लगाने की इजाजत नहीं देंगी।
इस जांच आयोग को तीन जुलाई को कानपुर के चौबेपुर थानांतर्गत बिकरू गांव में विकास दुबे और उसके गिरोह के हमले में आठ पुलिसकर्मियों के शहीद होने और इसके बाद गैंगस्टर विकास दुबे और उसके पांच सहयोगियों की पुलिस मुठभेड़ में मौत की घटनाओं की जांच करनी है।
बेंच ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से सुनवाई के दौरान पूर्व पुलिस महानिदेशक गुप्ता द्वारा दिए गए इंटरव्यू से संबंधित मीडिया की खबरों का अवलोकन किया और कहा कि इससे जांच पर असर नहीं पड़ेगा क्योंकि शीर्ष अदालत और उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश इस आयोग का हिस्सा हैं। शीर्ष अदालत आयोग के सदस्यों को बदलने के लिये याचिकाकर्ता घनश्याम उपाध्याय और अनूप प्रकाश अवस्थी के दो आवेदनों पर सुनवाई कर रही थी। (भाषा इनपुट्स के साथ)
