Apurva Vishwanath, Maulshree seth
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार एक नया अध्यादेश लायी है। जिसके तहत दावा किया जा रहा है कि एक ट्रिब्यूनल को कई ताकतें दी गई हैं, जिनमें जरुरत पड़ने पर बिना सुनवाई के तोड़-फोड़ के आरोपी या दंगे के आरोपियों से मुआवजा इकट्ठा करना जैसी पावर शामिल हैं। इसके साथ ही यह भी अधिकार मिलेगा कि यदि ट्रिब्यूनल किसी पर कोई जुर्माना लगाता है तो वह अन्तिम होगा और इसके खिलाफ किसी भी सिविल कोर्ट में अपील नहीं की जा सकेगी।
उत्तर प्रदेश सरकार के इस अध्यादेश उत्तर प्रदेश रिकवरी ऑफ डैमेज टु पब्लिक एंड प्राइवेट प्रॉपर्टी ऑर्डिनेंस (Uttar Pradesh Recovery of Damage to Public and Private Property Ordinance) नाम दिया गया है। इस अध्यादेश को रविवार को राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की मंजूरी भी मिल गई है।
अध्यादेश में ये प्रावधान किया गया है कि विरोध प्रदर्शन के दौरान हुए नुकसान और उस पर जुर्माना वसूलने के लिए कथित तौर पर एक या एक से अधिक ट्रिब्यूनल का गठन किया जा सकता है। ट्रिब्यूनल सार्वजनिक संपत्तियों के नुकसान की रोकथाम के लिए पुलिस प्रशासन द्वारा उठाए गए कदमों पर भी ध्यान देगा।
अध्यादेश में इस बात का भी प्रावधान किया गया है कि विरोध प्रदर्शन, हड़़ताल, बंद, जनसभा या दंगों के दौरान किसी तरह की कोई सांठगांठ तो नहीं है, जिसके तहत निजी या सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया हो। अध्यादेश में उपद्रवियों की संपत्ति सीज करने की भी बात कही गई है।
सेक्शन 21(2) के तहत नया अध्यादेश कहता है कि अपराध करने वाले ‘असली गुनहगारों’ से जुर्माने की वसूली की जाएगी। इसके साथ ही कथित ट्रिब्यूनल अपराध के लिए उकसाने वाले लोगों से भी जुर्माने का कुछ हिस्सा वसूलेगा। हालांकि अध्यादेश में इस बात की चर्चा नहीं है कि किसे भड़काने और उकसाने वाली कार्रवाई माना जाएगा।
बता दें कि उत्तर प्रदेश सरकार का यह अध्यादेश सुप्रीम कोर्ट द्वारा इलाहाबाद हाईकोर्ट के 9 मार्च वाले फैसले पर स्टे करने से इंकार के 4 दिन बाद आया है। जिसमें इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एंटी सीएए विरोध प्रदर्शन के दौरान भड़की हिंसा के आरोपियों के जगह-जगह लगे पोस्टरों को हटाने का निर्देश दिया था।
अध्यादेश के मुताबिक ट्रिब्यूनल की अध्यक्षता एक रिटायर्ड डिस्ट्रिक्ट जज करेंगे, जिनकी नियुक्ती राज्य सरकार द्वारा होगी। ट्रिब्यूनल में अन्य सदस्य एडिश्नल कमिश्नर रैंक के होंगे।