उत्तर प्रदेश के मेरठ स्थित शामली में जरा से विवाद पर कई मुसलमानों ने पुश्तैनी घर छोड़ दिए। डर और असुरक्षा के माहौल के बीच आधा दर्जन से ज्यादा लोग पलायन से पहले घर के बाहर ‘यह मकान बिकाऊ है’ लिखकर निकले। वे अपने साथ घर में रखा जरूरी सामान भी साथ ले गए, जबकि उनका आरोप है कि हिंदू संगठनों के दबाव में पुलिस उन पर कार्रवाई करते हुए फर्जी मामले दर्ज कर रही है। दरअसल, एक हिंदू संगठन कार्यकर्ता से मारपीट के बाद इलाके में हालात तनावपूर्ण हुए थे।
मोमोज को लेकर हुआ था झगड़ाः ईद के अगले दिन छह जून, 2019 को अजुध्या चौक पर मोमोज खाने पर दो युवकों में झगड़ा हुआ था। तौफीक समेत तीन युवकों ने तब हिंदू संगठन कार्यकर्ता हर्ष और एक अन्य से मारपीट की थी, जिसके बाद वहां काफी बवाल कट गया था। कुछ देर बाद हिंदू संगठन कार्यकर्ताओं ने मौके पर एक शख्स को पकड़कर जमकर उसकी पिटाई की।
दो केस दर्ज, आठ गिरफ्तारः मामले के बारे में फौरन पुलिस को सूचना दी गई, जिसके बाद आरोपी को हिरासत में लिया गया। पुलिस ने इस मामले में आधा दर्जन से अधिक नामजद और 25-30 अज्ञात लोगों के खिलाफ पीड़ित व पुलिस की ओर से दो मुकदमे दर्ज किए। हालांकि, इसके बाद मुख्य आरोपी समेत कुल आठ लोग अरेस्ट भी किए गए थे।
‘हमें जबरन फंसा रही पुलिस’: कई रिपोर्ट्स में कहा गया कि जिन घरों पर ‘यह मकान बिकाऊ है’ लिखा है, वहां कोई भी पुरुष नहीं है। घर की महिलाओं के हवाले से कहा गया कि मामले में निर्दोषों को फंसाया गया है। आरोप है कि उत्पीड़न के कारण लोगों ने मकान बेच कर और जगहों पर जाने का निर्णय किया। पीड़ितों का कहना था कि बात तीन लोगों के बीच की थी, पर पुलिस ने इस प्रकरण में दो दर्जन से अधिक लोगों को रेखांकित कर लिया। उनका दावा है कि वे सभी पूरी तरह निर्दोष हैं। हिंदू संगठनों के दबाव में पुलिस उन पर कार्रवाई कर रही है।
पुलिस ने पलायन की बात बताई षडयंत्रः वहीं, पुलिस इस मसले पर सक्रिय नजर आ रही है। भोर होते ही वह इन मकानों के आसपास जाकर वहां रहने वालों के बारे में जानकारी जुटाती है, जबकि खुफिया विभाग की टीमें भी इलाके में हर छोटी बड़ी घटना की मॉनिटरिंग कर रही हैं। शामली एसपी अजय कुमार के हवाले से मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया कि पलायन की बात करना पुलिसिया कार्रवाई से बचने का महज एक षडयंत्र है। हम जांच कर रहे हैं। एक भी आरोपी को छोड़ा नहीं जाएगा।